

रांची। झारखंडहाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रौशन की खंडपीठ ने 1 अप्रैल को सरहुल शोभा यात्रा के दौरान राजधानी के विभिन्न इलाकों में 5 से 10 घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित रहने के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि बिजली एक अनिवार्य सेवा है और इसे बंद नहीं किया जा सकता। इस दौरान न्यायालय ने बिजली निगम से पूछा कि सरहुल के दिन इतने लंबे समय तक बिजली क्यों काटी गई और लोगों की परेशानी को क्यों नजरअंदाज किया गया। मामले में महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि साल 2000 में बिजली के तार से लोगों के करीबी संपर्क में आने से 29 लोगों की मौत का दुर्घटनाग्रस्त मामला हुआ था। इसके बाद से किसी भी जुलूस के दौरान ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बिजली आपूर्ति बंद करने का निर्णय लिया जाता है। इस पर खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि सुरक्षा के लिए बिजली कटौती नहीं, बल्कि अन्य उपाय किए जाने चाहिए। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि भविष्य में 6 अप्रैल (रामनवमी) और 6 जुलाई (मुहर्रम) के जुलूसों के दौरान सुरक्षा प्रबंधन सुनिश्चित करे, लेकिन बिजली आपूर्ति न रोके। साथ ही, इस मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।