रांची के मस्जिदों और ईदगाहों में पढ़ी गई ईद की नमाज | नफरत फैलाने वालों के मंसूबों को हमें मोहब्बत से नाकाम करना होगा


रांची। रमजान के बाद सोमवार को देशभर में मुस्लिम समुदाय ने ईद-उल-फितर का त्योहार धूमधाम से मनाया। झारखंड की राजधानी रांची में भी इसकी रौनक देखने को मिली। सुबह से ही बच्चे, युवा और बुजुर्ग नए कपड़ों में सजे-धजे अपने घरों के नजदीकी ईदगाहों और मस्जिदों में सामूहिक नमाज अदा करने पहुंचे। नमाजियों की सुविधा के लिए अलग-अलग इबादतगाहों में प्रार्थना का समय भिन्न-भिन्न निर्धारित किया गया था। हरमू ईदगाह में नमाज के बाद मौलाना असगर मिस्बाही ने अपने संदेश में कहा कि “ईद और इस्लाम मोहब्बत का पैगाम देते हैं। यह धर्म इंसानों के बीच प्रेम और भाईचारे की सीख देता है। हिंदुस्तान की खूबसूरती यही है कि यहां तमाम मजहबों के लोग प्यार से रहते हैं और हर किसी को अपने धर्म का पालन करने की आजादी है। कुछ ताकतें इस सद्भाव को तोड़ना चाहती हैं, ऐसे में देश की एकता की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने जोर देकर कहा, “नफरत फैलाने वालों के मंसूबों को हमें मोहब्बत से नाकाम करना होगा। इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है, बाकी सियासतदानों पर छोड़ दें। मेरा पैगाम-ए-मोहब्बत हर दिल तक पहुंचे।”
वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग
इस दौरान मौलाना मिस्बाही ने केंद्र सरकार से वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक वापस लेने की मांग भी रखी। कुछ नमाजियों ने प्रधानमंत्री मोदी को संबोधित करते हुए इस मुद्दे पर बैनर भी लहराए, जिनपर “ईद की सौगात के तौर पर विधेयक वापस लो” की अपील लिखी थी। उन्होंने कहा कि यह कदम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता के लिए चिंताजनक है और सरकार को इसे पुनर्विचार करना चाहिए। ईद के मौके पर शहर में उल्लास का माहौल था। नमाज के बाद लोगों ने गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। कई लोग परिवार के साथ त्योहार मनाने के लिए दूसरे राज्यों से रांची पहुंचे थे। घरों में सेवइयां, खट्टा-मीठा चाट, दही-बड़ा और बिरयानी, पुलाव जैसे पारंपरिक पकवानों की खुशबू महक रही थी।