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रांची। आज (4 फरवरी) भाजपा-आरएसएस के आदिवासी विरोधी नीतियों के खिलाफ आदिवासी एकता महारैली मोरहाबादी मैदान में आयोजित की गई है। दिन के 1 बजे से झारखंड के आदिवासी नेता आदिवासियों के हक व हुकूक की बातें कर आदिवासियों की आवाज को बुलंद करेंगे। महारैली में न केवल रांची या झारखण्ड बल्कि पूरे देश के आदिवासियों की दशा-दिशा तय करेगी। महाराष्ट्र के साथ ही पूरे देश के आदिवासियों के लिए निरंतर संघर्ष करनेवाले सुप्रसिद्ध आदिवासी नेता और आदिवासी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवाजी राव मोघे रैली में शामिल होंगे। साथ ही गुजरात के आदिवासी नेता नारायण राठवा भी शामिल होंगे। रैली से एक दिन पहले समन्वय समिति के सदस्य व झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने ने कहा कि झारखंड में आदिवासियों के मुद्दे की अनदेखी कर न तो सत्ता चल सकती है, ना ही सरकार और न ही राजनीति। आदिवासियों को बांटने वाले किसी भी राजनीतिक दल और संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। तिर्की ने कहा कि सरना कोड, पांचवी अनुसूची आदि के साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में आदिवासियों की उपयोजना राशि (ट्राइबल सब प्लान) में कटौती किया जाना, आदिवासियों के हित के साथ खिलवाड़ है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भाजपा आदिवासियों की लगातार अनदेखी कर रही
तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके अधीन के संगठनों द्वारा आदिवासियों को बांटने के लिए जमीन-आसमान एक कर दिया गया है। लेकिन उन्हें उनकी चाल में कोई भी सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि। आदिवासी बिना किसी मतभेद के एकजुट हैं और उन्हें दुनिया की कोई शक्ति अलग नहीं कर सकती। तिर्की ने कहा कि भाजपा एवं केन्द्र के साथ ही जिन-जिन प्रदेशों में भाजपा सत्ता में है वहां आदिवासियों की लगातार अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में गुमला में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने सरना धर्मकोड पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन उसपर अबतक कोई निर्णय नहीं हुआ।