सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों पर झारखंड पुलिस की सख्ती : NSA और CCA के तहत होगी कार्रवाई


सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक उन्माद फैलाने वालों पर कार्रवाई की चेतावनी
रांची। ईद, सरहुल और रामनवमी जैसे पर्वों के मद्देनजर झारखंड पुलिस अलर्ट मोड में है। राज्य के कुछ जिलों में पिछले कुछ समय से त्योहारों के दौरान सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को देखते हुए पुलिस ने विशेष सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है। इस कड़ी में, सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने सख्त चेतावनी जारी की है। डीजीपी अनुराग गुप्ता ने स्पष्ट किया कि सोशल मीडिया के माध्यम से सांप्रदायिक विषैले संदेश फैलाने वाले लोग “जमीनी उपद्रवियों” से भी अधिक खतरनाक हैं, क्योंकि इनकी पहुंच व्यापक होती है और ये समाज में तेजी से विषैली अफवाहें फैलाते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे तत्वों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और जमानती अपराध अधिनियम (CCA) के तहत कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, पुलिस के पास टेक्निकल उपकरण मौजूद हैं, जिनकी मदद से फेक आईडी बनाकर अशांति फैलाने वालों की पहचान की जा सकती है।
आईटी एक्ट के प्रावधानों का सख्ती से पालन
डीजीपी ने आईटी अधिनियम के नियमों का जिक्र करते हुए बताया कि सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाले व्यक्ति को ही कानूनी जिम्मेदारी झेलनी होगी। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अगर फेसबुक पर कोई भड़काऊ पोस्ट डाली जाती है, तो प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि उसका अपलोडर जवाबदेह होगा। हालांकि, पुलिस द्वारा सर्विस प्रोवाइडर (जैसे फेसबुक) को नोटिस भेजे जाने के बाद भी यदि वह सामग्री हटाने में कोताही बरतता है, तो उसके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की जा सकती है।
“डिजिटल फुटप्रिंट” से बचना मुश्किल
डीजीपी गुप्ता ने दोषियों को आगाह किया कि सोशल मीडिया पर गुमनाम रहकर विवाद फैलाने का भ्रम न पालें। उन्होंने सीजीएल परीक्षा पेपर लीक मामले का उदाहरण देते हुए बताया कि डिजिटल फुटप्रिंट के जरिए आरोपियों को पकड़ा गया था। उनका साफ संदेश है: “ऐसे लोग सावधान हो जाएं, नहीं तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।” झारखंड पुलिस का यह कदम राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।