दिउड़ी में आदिवासियों का हुंकार : जमीन हमारी तो मंदिर का संचालन गैर आदिवासी कैसे करेगा | 29 सितंबर को जन आक्रोश रैली
कई प्रस्ताव हुए पास : हेमंत सोरेन सरकार को भी चेताया
रांची। तमाड़ स्थित दिउड़ी मंदिर का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। 5 सितंबर 2024 को मंदिर के गेट में ताला लगने के बाद से आदिवासी समाज के लोग मंदिर की जमीन पर अपना अधिकार बता रहे। मंदिर में ताला लगने के बाद प्रशासन ने 2 लोगों को जेल भी भेज दिया। 6 सितंबर को बुंडू व तमाड़ को बंद कराया गया। मंदिर में बने ट्रस्ट का आदिवासी खुलकर विरोध कर रहे। 11 सितंबर को दिवड़ी फुटबॉल ग्राउंड में आदिवासियों का महा जुटान हुआ। इसमें बड़ी संख्या में आदिवासी महिला-पुरुष के साथ-साथ आदिवासी संगठन के लोग शामिल हुए। महा जुटान में कई प्रस्ताव पास किए गए। 29 सितंबर को जन आक्रोश रैली का आजोन तोडांग मैदान में किया जाएगा। महा जुटान में आदिवासी नेताओें ने एक स्वर में कहा कि दिवड़ी मंदिर नहीं दिवड़ी दिरी है। दिवड़ी मंदिर का जमीन आदिवासियों का है। आदिवासी के जमीन पर कोई दूसरा कैसे संचालन करेगा। मंदिर में बना ट्रस्ट भी पूरी तरह से गलत है। बिना ग्राम सभा के ट्रस्ट को बना देना गैर संवैधानिक है। सरकार को भी चेतावनी देते हुए मंदिर की जमीन आदिवासियों के हवाले करने की मांग की गई। आदिवासी नेताओं ने कहा कि अपनी जमीन को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा। आदिवासी के नाम पर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले नेताओं का विरोध किया जाएगा। इससे पूर्व सोमवार को दिउड़ी के कई ग्रामीण मुख्यमंत्री सीएम से मिलने उनके कांके रोड स्थित आवास पर पहुंचे थे। जहां ग्रामीणों की मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी थी।
मंदिर की जमीन फर्जी तरीके से हस्तांतरण किया गया
ग्रामीणों की ओर से आदिवासी समन्वय समिति के लक्ष्मीनारायण मुंडा ने कहा कि दिवड़ी मंदिर में बनाये गए ट्रस्ट, मंदिर की जमीन के फर्जी तरीके से हस्तांतरण और स्थानीय आदिवासियों को हाशिये पर रखने को लेकर सवाल उठाए हैं। धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि दिउड़ी के ग्रामीण दो दिन मुख्यमंत्री से मिलने उनके आवास पर पहुंचे पर वे नहीं मिल पाए। प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि अब एक नया उलगुलान तमाड़ से फिर शुरू होगा। हमलोग अपनी जमीन को हर हाल में वापस लेकर रहेंगे। वहीं, पूर्व विधायक देव कुमार धान ने कहा कि जब आदिवासी एक हो जाएंगे तो जहां-जहां हमारे जमीन पर कब्जा करते मंदिर बनाया गया है उसे वापस ले लेंगे। एक बड़े आंदोलन से ही दिवड़ी मंदिर की जमीन को आदिवासी को दिलाकर रहेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि अब दिवड़ी का मंदिर ही नहीं झारखंड में कई ऐसे मंदिर है जो आदिवासी के जमीन पर है। महाजुटान में राज्य के कई जिलों के आदिवासी आकर अपनी एकता का परिचय दिए। मौके पर धर्मगुरु बंधन तिग्गा, देव कुमार धान, लक्ष्मी नारायण मुंडा, प्रेम शाही मुंडा, सुरेश चंद्र सोय, संजय, कुन्दरसी मुंडा, सुशीला मुंडा, सेलिना लकड़ा, प्रभा मानकी, दुर्गावती ओड़ेया, दिनकर कच्छप, रेयास सामड, संजय तिर्की, करण सुंडी, हेमंत बिरुआ आदि शामिल थे।