About me

News Box Bharat
Welcome to News Box Bharat, your one-stop destination for comprehensive news coverage and insightful analysis. With a commitment to delivering reliable information and promoting responsible journalism, we strive to keep you informed about the latest happenings from across the nation and the world. In this rapidly evolving era, staying updated and making sense of the news is crucial, and we are here to simplify the process for you.

Recent Posts

+91 6205-216-893 info@newsboxbharat.com
Friday, June 20, 2025
Latest Hindi NewsNews

Rajiv Gandi की 34वीं पुण्यतिथि : 21 मई 1991 को LTTE की आत्मघाती साजिश ने उनकी हत्या की | जानें पूरा सच

Rajiv Gandhi की 34वीं पुण्यतिथि
Share the post

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की LTTE की आत्मघाती हमलावर थें । मोझी राजरत्नम ने तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी थी। IPKF की तैनाती और राजीव के बयानों से नाराज LTTE ने इस साजिश को अंजाम दिया। उनकी पुण्यतिथि पर भारत आतंकवाद विरोधी दिवस मनाता है।

Rajiv Gandhi की पुण्यतिथि पर उनकी हत्या की साजिश और तमिल टाइगर्स की भूमिका

आज, 21 मई 2025, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 34वीं पुण्यतिथि (Rajiv Gandhi Death Anniversary) है। 21 मई 1991 को उनकी हत्या ने देश को स्तब्ध कर दिया था। इस दुखद दिन पर, आइए उस त्रासदी को याद करें, जिसने राजीव गांधी की हत्या (Rajiv Gandhi Assassination) को अंजाम दिया और इसके पीछे की साजिश को समझें, जिसमें लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की अहम भूमिका थी।

राजीव गांधी का उदय

1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद, उनके बेटे राजीव गांधी को राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया। मात्र 40 वर्ष की आयु में, वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार ने तकनीकी विकास और आधुनिकीकरण पर जोर दिया, लेकिन उनकी नीतियों ने कुछ विवादों को भी जन्म दिया, खासकर श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (IPKF) की तैनाती।

TTE का उदय

1976 में, वेलुपिल्लै प्रभाकरन ने लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) की स्थापना की। इस संगठन का लक्ष्य श्रीलंका में तमिल लोगों के लिए एक स्वतंत्र तमिल राज्य की स्थापना करना और वहां तमिलों पर होने वाले अत्याचारों का विरोध करना था। शुरुआत में, खासकर इंदिरा गांधी के कार्यकाल में, LTTE को भारत से सहानुभूति और समर्थन प्राप्त था। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने कथित तौर पर तमिल विद्रोही गुटों को प्रशिक्षण और सहायता प्रदान की थी।

श्रीलंका में भारतीय शांति सेना

1987 में भारत और श्रीलंका के बीच एक शांति समझौता हुआ, जिसके तहत राजीव गांधी ने LTTE को निशस्त्र करने और शांति बहाल करने के लिए भारतीय शांति सेना (IPKF) को श्रीलंका भेजा। शुरुआत में LTTE ने भारतीय सेना का स्वागत किया, लेकिन जल्द ही संगठन को भारत की मौजूदगी अनावश्यक हस्तक्षेप लगने लगी। LTTE और भारतीय सेना के बीच जल्द ही हिंसक झड़पें शुरू हो गईं, जिससे दोनों पक्षों में तनाव बढ़ गया।

LTTE की नाराजगी

LTTE का राजीव गांधी के प्रति गुस्सा IPKF की तैनाती के बाद और गहरा गया। 1989 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन राजीव गांधी विपक्ष में एक प्रभावशाली नेता बने रहे। 1991 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यदि वे दोबारा सत्ता में आए, तो श्रीलंका में फिर से भारतीय सेना भेजने पर विचार करेंगे। LTTE ने इस बयान को अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखा।

हत्या की साजिश और निष्पादन

राजीव गांधी के इस बयान ने LTTE को उनकी हत्या की साजिश रचने के लिए प्रेरित किया। 21 मई 1991 को, तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान, LTTE की एक महिला आत्मघाती हमलावर, थेंमोझी “गायत्री” राजरत्नम, ने समर्थक के रूप में राजीव गांधी के पास पहुंचकर उन्हें माला पहनाने का नाटक किया। उसने अपने शरीर पर छिपाए गए विस्फोटकों को सक्रिय कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप राजीव गांधी और 13 अन्य लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई। खुफिया एजेंसियों ने राजीव गांधी को इस रैली में न जाने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने इस सलाह को नजरअंदाज कर दिया, जो उनके लिए घातक साबित हुआ।

राजीव गांधी की हत्या (Rajiv Gandhi Assassination) ने भारत को गहरा आघात पहुंचाया और LTTE की रणनीति को विश्व स्तर पर बदनाम किया। बाद में LTTE के विचारक एंटन बालासिंघम ने इस हत्या को एक रणनीतिक भूल माना, जिसने भारत का समर्थन खो दिया और 2009 में संगठन के पतन में योगदान दिया। भारत आज भी 21 मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाता है, ताकि आतंकवाद के खतरों के प्रति जागरूकता बढ़े। राजीव गांधी को उनके तकनीकी योगदान और युवा नेतृत्व के लिए याद किया जाता है, लेकिन उनकी हत्या एक ऐसी त्रासदी थी जिसने देश को झकझोर दिया।

Leave a Response