

रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का 13वां केंद्रीय महाधिवेशन सोमवार को राजधानी रांची के खेलगांव स्थित टाना भगत इंडोर स्टेडियम में शुरू हुआ। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 8 से अधिक राज्यों के 3,500 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राज्य के विकास, आरक्षण और स्थानीय हितों से जुड़े मुद्दों पर अपने एजेंडे को रेखांकित किया। महाधिवेशन में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन और उपाध्यक्ष रूपी सोरेन (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मां) स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद पहुंचे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं उन्हें मोरहाबादी स्थित उनके आवास से लेकर स्टेडियम तक आए। इसके अलावा, सांसद सरफराज अहमद, महुवा माझी, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, मंत्री हफीजुल हसन, चमरा लिंडा और पार्टी के अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
राजनीतिक प्रस्ताव
पार्टी के वरिष्ठ विधायक व पूर्व उपमुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी ने महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें निम्न मांगें शामिल हैं:
- ओबीसी को 27% आरक्षण और निजी क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के लिए 75% आरक्षण।
- 1932 खतियानी आधारित स्थानीय नीति को लागू करना और परिसीमन का विरोध।
- सरना धर्म कोड को संसद द्वारा मान्यता दिलाना।
- देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मुहिम।
- वक्फ एक्ट में संशोधन के विरोध की पुष्टि।
आगे का रास्ता
महाधिवेशन के दूसरे दिन पार्टी संगठनात्मक ढांचे और भविष्य की रणनीति पर चर्चा होगी। इस आयोजन को झामुमो की ‘स्थानीय अस्मिता’ और ‘सामाजिक न्याय’ के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमुख मंच माना जा रहा है।
सबसे बड़ी पार्टी को हराया
सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आज राज्य की जनता के आशीर्वाद और झामुमो के जुझारु सिपाहियों की मेहनत की बदौलत हमने – अपने आप को विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बोलने वाले दल – को हराने का काम किया है। राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनने का आशीर्वाद हमें मिला है। यहां यह आप सभी साथी भी महसूस कर रहे होंगे कि आज हमारे महाधिवेशन में पूर्व से बेहतर भव्यता है, इसी प्रकार हमें राज्य के लोगों के लिए भी दिन-रात काम कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है। झारखण्ड के हक-अधिकार के लिए हुए आंदोलन से उपजी पार्टी है झारखण्ड मुक्ति मोर्चा। झारखण्ड और झारखण्डवासियों को आगे ले जाने का काम भी हमें ही करना है।
गुरुजी के नेतृत्व में अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई
हेमंत सोरेन ने कहा- झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने हमेशा गरीब, शोषित और वंचित वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व किया है। आदरणीय गुरुजी के नेतृत्व में अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गई, हमें अलग राज्य भी मिला। राज्य के लोगों ने सोचा कि अब हमारा सर्वांगीण विकास होगा लेकिन राज्य का विकास चुनी ही सरकार द्वारा ही संभव हो सकता है। और यह दुर्भाग्य था कि राज्य बनने के बाद राज्य की बागडोर जिनके हाथों में थी उन्हें यहां के आदिवासियों-मूलवासियों, झारखण्डवासियों से कोई मतलब नहीं था। 2019 में तब राज्य की जनता के आशीर्वाद से हमें नेतृत्व करने का अवसर मिला, उसमें भी विपक्ष ने कई बार राजनीति का स्तर नीचे गिराते हुए, झारखण्ड को पीछे ले जाने की कोशिश की, लेकिन सफल न हो सके।