वक्फ बोर्ड संशोधन के विरोध में 26 मार्च को पटना में होने वाले प्रतिरोध कार्यक्रम में Jmm शामिल होगा


Jmm ने Bjp से मणिपुर और परिसीमन पर स्पष्ट रुख मांगा
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने गुरुवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर पार्टी का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने बताया कि वक्फ बोर्ड संशोधन के विरोध में 26 मार्च 2025 को पटना में होने वाले प्रतिरोध कार्यक्रम में पार्टी शामिल होगी और इमारत-ए-शरिया समेत अन्य संगठनों के धरने में भाग लेगी। इस कार्यक्रम में शिबू सोरेन को भी आमंत्रित किया गया है।
आरएसएस की बैठक और भाजपा पर सवाल
भट्टाचार्य ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि 21 से 23 मार्च के बीच आरएसएस की “अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा” की बैठक हुई, जिसमें मणिपुर हिंसा और परिसीमन को लेकर जारी बयानों के बाद भाजपा को अपना स्टैंड साफ करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस ने स्वीकारा कि मणिपुर 20 महीनों से जल रहा है और स्थिति सामान्य होने में वर्षों लगेंगे, लेकिन भाजपा सरकार और संगठन की भूमिका पर कोई जवाब नहीं दिया गया।
परिसीमन को लेकर चिंता
झामुमो नेता ने परिसीमन को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इससे दक्षिण और उत्तर भारत के बीच असंतुलन पैदा होगा। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व बढ़ जाएगा, जबकि दलित, आदिवासी और मूलवासियों की आवाज दबेगी। आरएसएस ने भी यह माना है, लेकिन भाजपा सिर्फ सत्ता पाने की फिराक में है।
मणिपुर हिंसा पर तीखा प्रहार
भट्टाचार्य ने राज्यसभा में अमित शाह और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री बिरेन सिंह के बीच हुई फोन बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में देखा गया कि कैसे अमित शाह ने बिरेन सिंह को ‘छुपके बम मारो’ जैसे निर्देश दिए। अगर भाजपा को जनजातियों से इतना प्यार है, तो नॉर्थईस्ट के 100% आदिवासी इलाकों की उपेक्षा क्यों?
भाजपा नेताओं से मांग
झामुमो ने भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी से विधानसभा में खड़े होकर स्पष्टीकरण मांगा कि आरएसएस द्वारा उठाए गए मणिपुर और परिसीमन के सवालों पर उनकी पार्टी का क्या रुख है। साथ ही, भट्टाचार्य ने भाजपा पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए पूछा, महाकुंभ और दिल्ली हादसे के पीड़ितों के लिए श्रद्धांजलि सभा क्यों नहीं आयोजित की गई?
आरएसएस की नई रणनीति
उन्होंने बताया कि आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष (2025) को भव्यता से मनाने के बजाय संगठन विस्तार पर फोकस करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, संघ ने मणिपुर में रामकृष्ण मिशन और इस्कॉन जैसे संगठनों के प्रयासों को स्वीकारा, लेकिन सरकार की निष्क्रियता पर मौन साधे रहना भाजपा के दोहरे चरित्र को उजागर करता है।