

रांची। रांची के डोरंडा सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पुलिस-प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच निर्माण कार्य दोबारा शुरू होने के साथ ही आदिवासी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन तेज कर दिया है। केंद्रीय सरना स्थल बचाओ संघर्ष मोर्चा के नेतृत्व में शुक्रवार को राजधानी समेत कई जिलों में प्रदर्शन हुए, जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पुतले जलाए गए। रांची में जयपाल सिंह स्टेडियम से शुरू हुए ‘आक्रोश मार्च’ में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए अल्बर्ट एक्का चौक पहुंचे, लेकिन पुलिस ने उन्हें सर्जना चौक की ओर बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद भीड़ ने मुख्यमंत्री के विरोध में जोरदार नारे लगाए और उनके पुतले को आग के हवाले किया। संघर्ष मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार सरना स्थल जैसे पवित्र धार्मिक स्थल के साथ छेड़छाड़ कर रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निर्माण कार्य नहीं रुका तो आंदोलन और विस्तार पाएगा। गौरतलब है कि यातायात सुविधा के लिए डोरंडा से सिरमटोली तक बन रहे इस फ्लाईओवर का काम अंतिम चरण में है, लेकिन धार्मिक आस्था और विकास के बीच यह टकराव राजनीतिक रूप लेता जा रहा है।
पुलिस के साथ मामूली तनाव भी हुआ
विरोध की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने अल्बर्ट एक्का चौक व सिरमटोली निर्माण स्थल पर भारी सुरक्षा तैनात की थी। सिरमटोली में सिटी एसपी, डीएसपी, मजिस्ट्रेट और सुरक्षाबलों की मौजूदगी में निर्माण जारी रहा। दूसरी ओर, प्रदर्शन के दौरान कुछ युवाओं ने सड़क पर बैठकर धरना दिया, जहां पुलिस के साथ मामूली तनाव भी हुआ। इस प्रदर्शन में भाजपा नेता आरती कुजूर, गंगोत्री कुजूर, कांग्रेस की गीताश्री उरांव और प्रेमशाही मुंडा सहित कई नेताओं ने भाग लिया। आदिवासी समुदाय का तर्क है कि फ्लाईओवर रैंप के कारण सरना स्थल के मुख्य द्वार तक पहुंच में रुकावट आएगी, खासकर सरहुल जैसे त्योहारों के दौरान जब बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं।