ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन को फिर भेजा समन | 9 को दफ्तर में बुलाया | सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट से फिर मची सियासी हलचल
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![ED again sent summons to CM Hemant Soren. 9 was called to the office. MP Nishikant Dubey's tweet created political stir again](https://newsboxbharat.com/wp-content/uploads/2023/09/87.jpg)
सांसद ने ट्वीट करते हुए लिखा है ‘चाय 9 सितंबर?’
रांची। ईडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को तीसरी बार समन जारी कर दिया है। सीएम को इस बार 9 सितंबर को एयरोपर्ट स्थित मुख्य कार्यालय में ईडी के दफ्तर बुलाया गया है। इस मामले में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के ट्वीट ने एक बार फिर से सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने सुबह 10.16 बजे ट्वीट करते हुए लिखा है ‘चाय 9 सितंबर?’ इसको लेकर ऐसा माना जा रहा है कि यह सीएम हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा तीसरे समन के बारे में है। जमीन घोटाले में पूछताछ के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी के द्वारा तीसरी बार समन जारी किये जाने की सूचना है। सूत्रों के अनुसार 9 सितंबर को मुख्यमंत्री को ईडी दफ्तर आने के लिए समन दिया या है। इससे पहले जब मुख्यमंत्री को दूसरा समन जारी किया गया था, उसे लेकर भी निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया था जो बिल्कुल सटीक निकला था। ईडी ने रांची जमीन घोटाले में मुख्यमंत्री को पूछताछ के लिए पहली बार 14 अगस्त को बुलाया था, लेकिन मुख्यमंत्री पहले समन पर उपस्थित नहीं हुए थे। इस दौरान उन्होंने एक पत्र ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर को भेजा था। जिसमें उन्होंने ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए कानून की शरण में जाने की बात कही थी, वहीं, ईडी से समन वापस लेने की मांग की थी। जिसके बाद ईडी ने भी सीएम को जवाबी पत्र भेजते हुए दूसरा समन भेज दिया था, जिसमें उन्हें 24 अगस्त को आने को कहा गया था, लेकिन उस दिन भी सीएम उपस्थित नहीं हुए और उन्होंने इस मामले में राहत पाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मामला पहुंच गया है कोर्ट
दूसरी तरफ जमीन घोटाले मामले में ईडी के दो-दो समन के विरुद्ध मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो ईडी भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। मुख्यमंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय में ईडी के अधिकार को चुनौती दी है, जिसके खिलाफ ईडी ने भी केविएट फाइल कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि उनके बिना ईडी के पक्ष को जाने कोई भी आदेश पारित न किया जाए।