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![Delhi Service Bill introduced in Rajya Sabha. MPs of India protested. uproar in the house](https://newsboxbharat.com/wp-content/uploads/2023/08/098-2-1024x475.jpg)
रांची। राज्यसभा में केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली सर्विस बिल पेश कर दिया। इसके बाद कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघव ने चर्चा की शुरुआत की। बता दें कि I.N.D.I.A के सांसद इस बिल का विरोध करेंगे। वहीं, एनडीए, बीजू जनता दल व वायएसआर कांग्रेस के सांसद इस बिल का समर्थन करेंगे। इन दोनों के समर्थन के बाद बिल राज्यसभा में पास हो सकती है। दिल्ली सरकार में तबादला-नियुक्ति का अधिकार एलजी को देने वाले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक के लोकसभा में पास हो जाने के बाद आज राज्यसभा में पेश हो गया। इस पर दिल्ली सरकार में काम कर रहे अधिकारियों की निगाहें टिकी हुई हैं। वे राज्यसभा में सदयों की संख्या का आकलन कर रहे हैं कि किसका पलड़ा भारी रह सकता है। मगर राज्यसभा में विधेयक पास हो जाने तक कुछ भी कहने से बच रहे हैं। दरअसल इस विधेयक के पास होने या न होने से उन पर सीधा असर पड़ रहा है। गत 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देकर दिल्ली सरकार में कार्यरत अधिकारियों के तबादला नियुक्ति का अधिकार दिल्ली की चुनी हुई आप सरकार को दे दिया था, उससे सरकार काफी उत्साहित थी। इस आदेश के बाद कई माह के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली सचिवालय पहुंचे थे और उनके मंत्रियों और विधायकों व कार्यकर्ताओं ने उनकी अगवानी की थी और स्वागत किया था उससे साफ जाहिर था कि दिल्ली में अब अपने तरीके से आप की सरकार चलेगी। इसका असर भी दिखना शुरू हो गया था जब उसी दिन सरकार ने सेवा सचिव के पद से आशीष मोरे को पद से हटा दिया था। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेसवार्ता कर संकेत दे दिए थे कि दिल्ली सरकार में बड़े स्तर पर अधिकारी बदले जाएंगे। काम रोकने वाले हटेंगे और ईमानदारी से काम करने वालों को सरकार में महत्व मिलेगा। सतर्कता विभाग और सेवा विभाग के विशेष सचिव का काम देख रहे वाईवीवी राजशेखर से उनके विभाग का काम ले लिया गया था। वैसे इस मामले में विवाद बढ़ गया था और बगैर अनुमति उनके कार्यालय में माैजूद फाइलों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने पुलिस में शिकायत दे दी थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि वह मुख्यमंत्री के आवास में हुए निर्माण में अनियमितताओं के आरोप की जांच कर रहे हैं, उनके कार्यालय में वे फाइलें माैजूद हैं, इसलिए उन्हें इस फाइलों के साथ भी छेड़छाड़ होने का डर है। मगर इसी बीच अचानक 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश आ गया था और केंद्र सरकार ने अधिकारियों के तबादला नियुक्ति पर फैसला लेने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्राधिकरण बना दिया था।मगर इसमें मुख्यमंत्री अल्पमत में हैं। क्योंकि प्राधिकरण में दो अन्य सदस्य मुख्यसचिव और गृह सचिव हैं जिनके विचार उनसे मेल नहीं खाते हैं। ऐसे में यह अधिकार चुनी हुई सरकार के पास नहीं रह गया है।अब अगर दिल्ली को लेकर विधेयक राज्यसभा में पास हो जाता है तो चुनी हुई सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी और अगर राज्यसभा में फेल हो जाता है ताे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ेंगी।