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![RBI did not change the repo rate. Relief to borrowers](https://newsboxbharat.com/wp-content/uploads/2023/08/56-4.jpg)
होम लोन या ऑटो लोन लेने वालों पर ईएमआई का बोझ नहीं बढ़ेगा
रांची। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के नतीजों का ऐलान कर दिया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि आरबीआई मौद्रिक नीति समिति ने रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है। यानि रेपो रेट 6.5 फीसदी ही रहेगा और होम लोन या ऑटो लोन लेने वालों पर ईएमआई का बोझ नहीं बढ़ेगा। देश में महंगाई के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद इसे तय दायरे में वापस लाने के लिए रिजर्व बैंक ने मई 2022 के बाद से लगातार नौ बार रेपो रेट में इजाफा किया था। हालांकि, महंगाई पर कंट्रोल के साथ ही केंद्रीय बैंक ने इसमें बढ़ोत्तरी पर ब्रेक लगा दिया और फरवरी 2023 के बाद से इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
रिजर्व बैंक ने रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू
पिछले साल मई से रिजर्व बैंक ने रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला शुरू किया था। हालांकि, फरवरी से केंद्रीय बैंक ने ब्याज दर में बढ़ोतरी को रोक दिया है। फरवरी की मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो दर को 6.25 से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत किया गया था। बोफा सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक 10 अगस्त को ब्याज दर को यथावत रखेगा।
टमाटर की कीमतों में हाल में उछाल का असर नहीं पड़ेगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि टमाटर की कीमतों में हाल में उछाल का एमपीसी की बैठक के नतीजों पर असर नहीं पड़ेगा। विशेषज्ञों ने कहा कि आर्थिक वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए कर्ज लेने की लागत स्थिर बनी रहेगी। आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8-10 अगस्त के बीच चलनी तय रही है।
जून में प्रधान उधारी दर में फेरबदल नहीं हुआ था
आरबीआई ने ब्याज दर में बढ़ोतरी का सिलसिला पिछले साल मई में शुरू किया था, हालांकि फरवरी के बाद से रेपो दर 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। इसके बाद अप्रैल और जून में दो द्विमासिक नीति समीक्षाओं में प्रधान उधारी दर में फेरबदल नहीं हुआ था। हाल में अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैसे कई केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी ध्यान में रखा जाएगा। सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत पर बनी रहे, जिसमें ऊपर या नीचे की ओर 2 प्रतिशत तक विचलन हो सकता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई, हालांकि यह आरबीआई के सहनशील स्तर छह प्रतिशत से नीचे है।