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Thursday, February 13, 2025
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हेमन्त जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा | सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे

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कल्पना सोरेन ने फिर X अकाउंट पर किया भावुक पोस्ट

रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन बीजेपी ज्वाइन कर ली है। बीजेपी ज्वाइन करने से पहले उन्होंने उन्‍होंने अपने त्‍यागपत्र में अपने परिवार का उपेक्षा का आरोप लगाया था। अपने इस्‍तीफा में सीता सोरेन ने लिखा था कि उनके पति दुर्गा सोरेन (Durga Soren) झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा रह चुके हैं, लेकिन उनके निधन के बाद से ही उनके परिवार को उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। उन्‍होंने पार्टी और परिवार के सदस्‍यों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सबने उन्‍हें अलग-थलग कर दिया है। उन्‍होंने अपने ससुर व पार्टी अध्‍यक्ष शिबू सोरेन के लिए लिखा कि बाबा ने सभी को एकजुट रखने का काफी प्रयास किया, लेकिन बावजूद इसके सब विफल रहा। ऐसा लग रहा है कि उनके और उनके परिवार के खिलाफ कोई गहरी साजिश रची जा रही है, इसलिए उन्‍होंने पार्टी और इस परिवार का साथ छोड़ने का फैसला लिया। अब इसके बाद हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने X अकाउंट पर भावुक पोस्ट किया है। कल्पना ने X अकाउंट पर क्या लिखा पढ़ें…..

हेमन्त जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमन्त जी को चुन लिया

हेमन्त जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे। 2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमन्त जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमन्त जी के प्रति प्यार देखा। हेमन्त जी राजनीति में नहीं आना चाहते थे परंतु दुर्गा दादा की असामयिक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा। हेमन्त जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमन्त जी को चुन लिया। जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी उनके ऊपर – अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी थी। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था। झामुमो आज झारखण्ड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रही है। आदरणीय बाबा एवं स्व दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ी थी उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमन्त जी जेल चले गये। वे झुके नहीं। उन्होंने एक झारखण्डी की तरह लड़ने का रास्ता चुना। वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है। झारखण्डी के DNA में ही नहीं है झुक जाना। सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही…

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