रांची! झारखंड की राजनीति फिर कपकपाती ठंड के बीच गर्म हो गई है. सोमवार को सीएम हेमंत सोरेन ने ED के 8वें समन का जवाब दिन में भेज दिया। इधर शाम में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन रांची पहुंच गए। राज्यपाल के रांची पहुंचते ही फिर एक बार राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है। तरह-तरह की क्यास लगाए जा रहे हैं। सोमवार यानि 15 जनवरी 2023 को दिन के 2.30 बजे के करीब मुख्यमंत्री सचिवालय से एक कर्मी ED दफ्तर पहुंचकर बंद लिफाफे को ईडी को साैंप दिया। अब इस बंद लिफाफे में क्या लिखा है यह कहना अभी बहुत ही मुश्किल होगा। लेकिन सीएम ने ईडी को जवाब भेजकर मैच को राोमांचक बना दिया है। आपको बता दें कि ईडी ने दो दिन पहले ही सीएम को आठवां समन भेजा था। इसी दिन राज्यपाल रात में दिल्ली रवाना हुए थे। वहीं, आज सीएम हेमंत सोरेन ने ईडी के 8वें समन का जवाब दिया तो राज्यपाल रांची पहुंच गए।
16-20 तक जवाब देना था सीएम को
ईडी के द्वारा भेजे गए आठवें समन में जवाब देने के लिए सीएम को 16 से 20 जनवरी तक का वक्त दिया था। लेकिन सीएम ने 15 को ही जवाब दे दिया है। एजेंसी ने 8वें समन में सीएम से पूछा था कि वे बयान दर्ज कराने के लिए क्यों उपस्थित नहीं हो रहे, इससे जांच में बाधा उत्पन्न हो रही है। ईडी ने उन्हें जवाब देने के लिए 16 से 20 जनवरी तक का वक्त दिया था। उन्हें एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने को भी कहा गया। ईडी ने आठवां समन शनिवार को भेजा था। लेकिन इसके 2 दिन बाद सीएम ने जवाब भेज दिया।
ईडी हेमंत सोरेन का बयान दर्ज करना चाहती है
रांची के बड़गाईं अंचल में हुए जमीन घोटाले के मामले में ईडी हेमंत सोरेन का बयान दर्ज करना चाहती है। इसके लिए उन्हें बीते 29 दिसंबर को सातवां समन भेजा गया था, जिसे एजेंसी ने आखिरी समन बताते हुए 7 दिनों के अंदर बयान दर्ज कराने को कहा था। सातवें समन में सोरेन से कहा गया था कि वे दो दिनों के अंदर ऐसी जगह तय करके सूचित करें, जहां उनका बयान दर्ज किया जा सके। यह जगह दोनों पक्षों के लिए उपयुक्त होनी चाहिए, हालांकि, सोरेन इस समन पर भी उपस्थित नहीं हुए थे।
सीएम ने 2 जनवरी को ईडी को पत्र लिखा था
सीएम ने Ed के सातवें समन पर 2 जनवरी को ईडी को पत्र लिखकर बार-बार भेजे जा रहे समन की तार्किकता और वैधता पर सवाल उठाया था। सीएम ने लिखा था कि समन भेजने की खबर उनसे पहले मीडिया तक पहुंचाई जाती है, जिसकी वजह से उन्हें मीडिया ट्रायल का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सभी मामलों में अपना पक्ष स्पष्ट रूप से पहले ही रख दिया है। इसके बावजूद उन्हें भेजा जा रहा समन राजनीति से प्रेरित लगता है और ऐसा करके उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश की जा रही है।