मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की चेतावनी: वक्फ बिल पास हुआ तो देशभर में जलेंगी आंदोलन की चिंगारियां


वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री ! भाजपा का साम्प्रदायिक एजेंडा
रांची। रांची: संसद में पेश किए गए वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने जोरदार विरोध जताया है। बोर्ड ने मीडिया को संबोधित करते हुए चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक पारित हुआ तो मुसलमान देशव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे। उन्होंने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की। प्रेस को इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजल रहीम मुजद्ददी, प्रवक्ता डॉ सैयद कासिम रसूल इलियास, पूर्व सांसद व सदस्य मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मोहम्मद अदीब संबोधित किया
मुख्य आपत्तियां: संविधान और भेदभाव का सवाल
AIMPLB के अनुसार, यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो समानता, धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थाओं के प्रबंधन का अधिकार सुनिश्चित करते हैं। बोर्ड ने आरोप लगाया कि यह विधेयक भाजपा के “साम्प्रदायिक एजेंडे” का हिस्सा है, जो मुसलमानों को “द्वितीय श्रेणी का नागरिक” बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, “हिंदुओं और अन्य धार्मिक समूहों के पास अपने धार्मिक स्थलों और संपत्तियों का प्रबंधन करने का अधिकार है, लेकिन मुसलमानों को यह अधिकार छीना जा रहा है।”
जेपीसी की भूमिका और विवाद
इससे पहले, विपक्ष के विरोध के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया था। JPC ने मुस्लिम समुदाय और अन्य हितधारकों से राय मांगी। AIMPLB के मुताबिक, मुस्लिमों की बहुलता ने इसे “भेदभावपूर्ण और संविधान-विरोधी” बताकर खारिज कर दिया, जबकि कुछ गैर-संबंधित संस्थाओं ने सरकार के पक्ष में राय दी। अंततः, JPC ने कुछ “मामूली संशोधनों” के साथ रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी, लेकिन AIMPLB का कहना है कि यह संशोधन और भी “कठोर और विवादास्पद” बन गया है।
मीडिया और सरकार पर गुमराह करने का आरोप
बोर्ड ने सरकार और मीडिया पर “झूठी जानकारी फैलाने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विधेयक में महिलाओं की भागीदारी, न्यायालय में अपील जैसे प्रावधान पहले से मौजूद हैं, और इन्हें “नए सुधार” के रूप में पेश कर जनता को भ्रमित किया जा रहा है। AIMPLB ने जनता से अपील की कि वे विधेयक को स्वयं पढ़कर राय बनाएं।
विवादास्पद बिंदु: क्या बदलाव चाहती है सरकार?
- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की अनिवार्यता: धारा 40 के तहत वक्फ बोर्ड के सदस्यों और CEO के लिए “मुस्लिम होने” की शर्त हटाई जा रही है। इसमें दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य की गई है।
- सरकार का नियंत्रण: वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का अधिकार सरकार या उसकी नियुक्त संस्था को मिलेगा।
- ट्रिब्यूनल की जगह सरकारी अधिकारी: वक्फ विवादों का निपटारा अब सरकारी अधिकारी करेंगे, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। विवादों
AIMPLB की मांग: विपक्ष और जनता से समर्थन
बोर्ड ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों और सांसदों से इस विधेयक का विरोध करने का आग्रह किया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इसे पारित किया गया, तो वे संवैधानिक, कानूनी और जनआंदोलन के माध्यम से विरोध जारी रखेंगे। AIMPLB के प्रवक्ता डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा, “वक्फ में सुधार की जरूरत है, लेकिन यह विधेयक भ्रष्टाचार रोकने के बजाय मुस्लिम अधिकारों को कुचलने का औजार है।”
नोट: यह विवाद सरकार और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच टकराव का नया अध्याय बन सकता है। विधेयक पर संसद में होने वाली चर्चा और मतदान पर सभी की नजरें टिकी हैं।
AIMPLB की मुख्य बातें…
भाजपा मुसलमानों को बनाना चाहती है दूसरे दर्जे का नागरिक
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भाजपा सरकार vs मुस्लिम अधिकार: वक्फ बिल को लेकर टकराव की नई चिंगारी
मीडिया वक्फ बिल को लेकर झूठ फैलाकर जनता को गुमराह किया