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Saturday, July 27, 2024
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पहलवान बजरंग पूनिया ने लौटाया पद्मश्री अवार्ड | PM नरेंद्र मोदी को पत्र में लिखा- सम्मानित बनकर जी नहीं पाऊंगा

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महिला पहलवानों के अपमान के बाद ऐसी सम्मानित जिंदगी नहीं जी पाएंगे

पीएममो पहुंचकर सम्मान वापस किया

रांची। भारतीय पहलवान व ओलिंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया ने अपना पद्म श्री पुरस्कार सरकार को वापस लौटा दिया। पूनिया ने सम्मान वापस करने के लिए पीएमओ कार्यालय गए, लेकिन वहां उन्हें कोई नहीं मिला तो गेट के पास ही पद्म श्री पुरस्कार को रख दिया। बजरंग पूनिया ‘पद्मश्री’ पुरस्कार लौटाने के लिए पीएम आवास की ओर बढ़े तो दिल्ली पुलिस ने उन्हें रोका। इसके बाद पूनिया ने फुटपाथ पर ही अपना पद्मश्री रख दिया। इससे पहले उन्होंने पुरस्कार लौटान का ऐलान करते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर एक पत्र लिखा, बजरंग पूनिया सोशल ने मीडिया पर अपने पत्र में लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हू। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है, यही मेरी स्टेटमेंट है। गुरुवार को बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष चुने गए। संजय सिंह के चुनाव के बाद साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें साक्षी ने विरोध स्वरूप खेल छोड़ने की घोषणा की थी। साक्षी ने कहा था कि हमने दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन अगर बीजेपी सांसद बृजभूषण जैसे व्यक्ति, उनके बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ रही हूं। अब आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे। इसके बाद उन्होंने आंखों में आंसू लेकर अपना जूते रख दिए।

पूनिया ने पीएम को पत्र में लिखा….

पूनिया ने लिखा, ‘प्रिय पीएम जी, आशा है कि आपका स्वास्थ्य ठीक है। आप कई कामों में व्यस्त होंगे लेकिन मैं देश के पहलवानों की ओर आपका ध्यान आकर्षित करने के लिए यह लिख रहा हूं। आप जानते होंगे कि देश की महिला पहलवानों ने जनवरी में विरोध प्रदर्शन शुरू किया था इस साल बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। मैं भी उनके विरोध में शामिल हुआ। सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई का वादा करने के बाद विरोध बंद हो गया।’ बजरंग पूनिया ने आगे लिखा, ‘लेकिन तीन महीने बाद भी बृजभूषण के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं हुई। हम अप्रैल में फिर से सड़कों पर उतरे ताकि पुलिस कम से कम उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करे। जनवरी में 19 शिकायतकर्ता थे लेकिन अप्रैल तक यह संख्या घटकर 7 रह गई।’ इसका मतलब है कि बृजभूषण ने 12 महिला पहलवानों पर अपना प्रभाव डाला। ‘ पूनिया ने आगे कहा कि, ‘हमारा विरोध 40 दिनों तक चला। उन दिनों हम पर बहुत दबाव था, हम अपने पदक गंगा नदी में विसर्जित करने गए थे। तब हमें किसान नेताओं ने रोक दिया था। उस समय आपके कैबिनेट के एक जिम्मेदार मंत्री ने फोन किया था और हमें न्याय का आश्वासन दिया। इस बीच, हम केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले, जिन्होंने भी हमें न्याय का वादा किया। हमने अपना विरोध बंद कर दिया।’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘लेकिन 21 दिसंबर को डब्ल्यूएफआई के चुनाव में महासंघ एक बार फिर बृजभूषण के अधीन आ गया। उन्होंने खुद कहा था कि वह हमेशा की तरह महासंघ पर हावी रहेंगे। भारी दबाव में आकर साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा कर दी।’ पूनिया ने आगे लिखा है, ‘साल 2019 में मुझे पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया। खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित किया गया। जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ, लगा था कि जीवन सफल हो गया, लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं। कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है। जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं ‘सम्मानित’ बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा. ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे, इसलिए ये “सम्मान” मैं आपको लौटा रहा हूं।’

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