

वोडाफोन आइडिया की आर्थिक संकट: क्या है भविष्य में दिवालिया होने का खतरा?
नई दिल्ली, 16 मई 2025: भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। कंपनी ने सरकार और सुप्रीम कोर्ट को चेतावनी दी है कि यदि उसे वित्तीय सहायता नहीं मिली, तो वित्त वर्ष 2026 (मार्च 2026) के बाद वह दिवालिया हो सकती है। यह स्थिति न केवल कंपनी के 16-20 करोड़ ग्राहकों, बल्कि 59 लाख से अधिक खुदरा शेयरधारकों और सरकार की 49% हिस्सेदारी के लिए भी चिंता का विषय है।
वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति।
वोडाफोन आइडिया का कुल कर्ज दिसंबर 2024 तक 2.17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिसमें से 1.95 लाख करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम ड्यूज और 77,000 करोड़ रुपये समायोजित सकल राजस्व (AGR) बकाया शामिल हैं। कंपनी को वित्त वर्ष 2027 से 2031 तक प्रतिवर्ष 43,000 करोड़ रुपये की कर्ज चुकौती करनी होगी, जो मौजूदा स्थिति में असंभव प्रतीत होता है। बैंकों ने भी कंपनी को नए ऋण देने से इनकार कर दिया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका।
15 मई 2025 को, वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की, जिसमें 30,000 करोड़ रुपये से अधिक के AGR बकाए को माफ करने की मांग की गई। कंपनी का तर्क है कि इस राहत के बिना वह न केवल अपने परिचालन को जारी रखने में असमर्थ होगी, बल्कि टेलीकॉम क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी कम हो जाएगी। इस मामले की सुनवाई 19 मई 2025 को निर्धारित है।
सरकारी सहायता और हिस्सेदारी।
2021 के टेलीकॉम सहायता पैकेज के तहत, सरकार ने अप्रैल 2025 में 36,950 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम बकाए को इक्विटी में परिवर्तित किया, जिससे सरकार वोडाफोन आइडिया में 48.99% हिस्सेदारी के साथ सबसे बड़ी शेयरधारक बन गई। हालांकि, कंपनी का कहना है कि बिना अतिरिक्त राहत या AGR बकाए में छूट के, वह बैंक फंडिंग हासिल नहीं कर सकती।
शेयर बाजार और ग्राहक प्रभाव।
16 मई 2025 को वोडाफोन आइडिया का शेयर मूल्य 7.23 रुपये था, जो पिछले तीन महीनों में 27% और पिछले एक साल में 45% की गिरावट दर्शाता है। ग्लोबल ब्रोकरेज सिटी ने शेयर को “हाई-रिस्क बाय” रेटिंग दी है, जिसमें 12 रुपये का लक्ष्य मूल्य निर्धारित किया गया है। यदि कंपनी दिवालिया होती है, तो इसके ग्राहकों और शेयरधारकों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
आगे क्या?
वोडाफोन आइडिया का भविष्य अब सरकार के समर्थन और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भर करता है। यदि कंपनी को AGR राहत या अतिरिक्त वित्तीय सहायता मिलती है, तो वह अपने परिचालन को स्थिर कर सकती है। अन्यथा, टेलीकॉम क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी का नुकसान भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को प्रभावित कर सकता है।