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Wednesday, July 9, 2025
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मानसून का पहला हमला: रांची हिली ! शहर के कई इलाके डूबे | डोरंडा मनीटोला पुल का संपर्क लोगों से टूटा

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Heavy Rain in Jharkhand : झारखंड की राजधानी रांची में मानसून की पहली भीषण बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोलकर रख दी है। शहर के कई इलाके अब जलप्रलय की भयावह स्थिति में डूब चुके हैं। नालों का गंदा पानी घरों में घुस गया है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। पीने का पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं ठप पड़ी हैं और लोग अपने ही घरों में फंसे हुए हैं। वहीं, डोरंडा मनीटोला का पुल के ऊपर से पानी का तेज बहाव आने लगा। जिससे आसपास के लोगों का संपर्क पुल से टूट गया है। पुल के ऊपर से पानी बहने लगा है। हिनू नदी (भुसूर नदी) में पानी भर गया है। रांची जैसे राजधानी शहर में हर मानसून यही हाल रहता है, तो फिर “विकास” के दावे किस आधार पर हैं? नालों की सफाई, पारदर्शी शहरी योजना और दीर्घकालिक जल प्रबंधन के बिना यह त्रासदी थमने वाली नहीं। लगातार हो रही बारिश के कारण डोरंडा गौरी शंकर नगर, संत अंथोली स्कूल के पास का रोड धंस गया।

कई इलाकों की स्थिति भयावह

खेलगांव का दीपाटोली क्षेत्र हो, कोकर का निचला इलाका, हरमू नदी के किनारे बसे मोहल्ले या फिर डोरंडा का कई क्षेत्र—हर तरफ पानी का सैलाब है। दीपाटोली तो पूरी तरह डूब गया है। नालियों का कीचड़ भरा पानी घरों में घुसा है, जहां एक से दो फीट तक जलभराव हो गया है। बच्चे और बुज़ुर्ग सबसे ज़्यादा परेशान हैं। कोकर में नालों का पानी सड़कों-गलियों से होता हुआ घरों में घुस रहा है। शौचालयों का गंदा पानी बैकफ्लो के कारण घरों में फैल रहा है, जिससे महिलाओं और बच्चों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। स्थानीय लोग बताते हैं। हरमू नदी के किनारे बसे घरों में नदी का पानी घुस गया है। लोग ऊपरी मंजिलों में सिमटे हैं, जहां न खाना बन पा रहा है, न बुनियादी ज़रूरतें पूरी हो पा रही हैं। एक बड़ा कारण है अनियोजित शहरीकरण। जिन जलधाराओं और नालों पर अतिक्रमण कर बड़े फ्लैट बना दिए गए, उन्होंने पानी के प्राकृतिक बहाव को रोक दिया है। प्रशासन की मिलीभगत से मिली मंजूरी के कारण आज मामूली बारिश भी बाढ़ ला देती है।

जीवन ठहर गया है

लोगों की दिनचर्या पूरी तरह बिगड़ चुकी है। खाना बनाना, काम पर जाना, राशन लेना—सब असंभव हो गया है। कई घरों में रसोई का सामान और गैस सिलेंडर तक पानी में बह गए हैं। पिछले साल भी इन्हीं इलाकों में एनडीआरएफ को बुलाना पड़ा था, मगर उस सबक को दरकिनार कर दिया गया। इस बार हालात और बदतर हैं।


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