विधानसभा में सत्र की बुलाने की प्रक्रिया व सत्र के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाने की जानकारी दी गई
रांची। झारखंड विधानसभा के विधायी शोध संदर्भ प्रशिक्षण कोषांग द्वारा आयोजित त्रि-दिवसीय प्रशिक्षण सह सेमिनार कार्यक्रम के दूसरे दिन 2 सत्र आयोजित हुए। पहले सत्र में “कार्य संचालन नियमावली, विधानसभा आहूत करने की प्रक्रिया एवं सभा के दौरान किए जाने वाले कार्य” विषय पर देवेंद्र सिंह ओसवाल, सेवानिवृत्त अपर सचिव, लोकसभा ने विषय पर तकनीकी सत्र का संचालन किए। उन्होंने पहले सत्र के दौरान विधानसभा में सत्र की बुलाने की प्रक्रिया तथा सत्र के दौरान विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाने के प्रावधानों के संबंध में अपने व्याख्यान को प्रस्तुत किया। उन्होंने विभिन्न विधायी प्रक्रियाओं के प्रारंभ होने के पीछे ब्रिटिश शासन के दौरान हुए घटनाक्रमों एवं काउंसिल एक्ट के प्रसंग को भी विस्तार पूर्वक प्रशिक्षण पा रहे पदाधिकारीयों के समक्ष रखा।इंडियन काउंसिल एक्ट 1892 जिसके माध्यम से सदस्यों को प्रश्न पूछने के अधिकार दिए गए थे, उनके अधिकारों में कैसे उत्तरोत्तर बढ़ोतरी हुई तथा वर्तमान में देश के विभिन्न विधानसभाओं में पूछे जाने वाले प्रश्नों की संरचना और पूरक प्रश्नों के पूछे जाने के दायरे तथा अधिकारियों द्वारा प्रश्नों के उत्तर दिए जाने के तौर-तरीकों पर चर्चाएं की। सत्र के दौरान मंत्रियों के द्वारा दिए जाने वाले आश्वासनों तथा उसके अस्तित्व और शब्दावली विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
दूसरे सत्र में बजट प्रक्रिया की जानकारी दी गई
प्रशिक्षण सह सेमिनार कार्यक्रम के दूसरे सत्र में “बजट प्रक्रिया की समझ”के विषय पर चक्षु राय, पीआरएस लेजिसलेटिव, नई दिल्ली एवं “बजट के संबंध में राज्य विधानमंडल में अपनायी जाने वाली प्रक्रिया” विषय पर मधुकर भारद्वाज संयुक्त सचिव, झारखंड विधानसभा ने भाग ले रहे अधिकारीयों के समक्ष अपनी व्याख्यान रखें। चक्षु राय ने अपने व्याख्यान में सामान्य बजट प्रक्रिया की समझ के संबंध में बजट भाषण, फाइनेंस बिल, एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट, अनुदानों की मांग तथा FRBM, ACT के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चाएं की। श्री मधुकर भारद्वाज ने बजट पेश होने के उपरांत बजट पर सामान्य चर्चाएं तथा उस पर प्रस्ताव नहीं आने के संदर्भ एवं समय के निर्धारण होने की प्रक्रिया, कटौती प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव लाए जाने तथा कटौती प्रस्ताव के स्वीकृत एवं अस्वीकृत होने के संदर्भ तथा अनुदान मांगों के संबंध में चर्चाएं की परिपाटीयों को विस्तार पूर्वक बताया। सभी सत्रों में प्रशिक्षण पा रहे पदाधिकारियों ने विभिन्न विधायी प्रक्रियाओं के संबंध में प्रश्न पूछे, अपने प्रश्नों का उत्तर और विभिन्न विधायी जटिल विषयों के संबंध में अपने शंकाओं एवं जिज्ञासाओं को भी संतुष्ट कर पाए।