

रांची। भारत के सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 16 अप्रैल को वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली 10 याचिकाओं पर सुनवाई हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं।
प्रमुख याचिकाकर्ता
- एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला खान, राजद नेता मनोज कुमार झा समेत कई नेताओं और संगठनों ने याचिकाएं दायर की हैं।
- टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, समाजवादी पार्टी के जिया-उर-रहमान बर्क, वाईएसआरसीपी, सीपीआई, डीएमके और कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भी अदालत का रुख किया है।
- विरोध का आधार: याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह कानून गैर-मुस्लिमों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
सरकार की तैयारी
केंद्र सरकार ने 8 अप्रैल को कोर्ट में कैविएट (एक कानूनी नोटिस) दाखिल किया है, ताकि बिना उनकी सुनवाई के कोई फैसला न हो। कैविएट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अदालत किसी भी आदेश से पहले सरकार का पक्ष सुने।
कानून कैसे बना
- संसद के दोनों सदनों में भारी बहस के बाद यह विधेयक पारित हुआ। लोकसभा में 288 समर्थन और 232 विरोध के वोट मिले, जबकि राज्यसभा में 128-95 से बिल पास हुआ।
- 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे मंजूरी दी, जिसके बाद इसे कानून का रूप मिला।
आगे की कार्रवाई
अदालत की वेबसाइट के अनुसार, अभी तक 10 याचिकाएं सूचीबद्ध हैं, लेकिन कुछ नई याचिकाएं अभी भी लिस्टिंग का इंतजार कर रही हैं। इस मामले में विभिन्न राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों की ओर से चुनौतियां दर्ज की गई हैं, जो इस कानून को लेकर उठे विवाद को गहरा रहा है।