शब ए बारात कल : डोरंडा कब्रिस्तान रंग-बिरंगी रौशनी से हुआ रौशन | कमेटी ने अकीदतमंदों के लिए किया खास इंतेजाम
रांची। मुसलमानों के लिए इस समय शाबान का मुकद्दस महीना चल रहा है। 25 फरवरी 2024 की रात को 14 शाबान की रात में पवित्र शब ए बारात का त्योहार मनाया जाएगा। इस रात में मुस्लिम इबादत करके खुदा को खुश करते हैं, साथ ही अपने गुनाहों की माफी भी मांगते हैं। बताया जाता है कि इस रात में तकदीर के फैसले भी लिखे जाते हैं। साथ ही कर्मों का लेखा जोखा भी रब की बारगाह में पेश किया जाता है। भारत में ये रात 25 की शाम से शुरू हो जाएगी। इसको लेकर डोरंडा कब्रिस्तान को रंग-बिरंगी रौशनी से जगमग कर दिया गया है। कमेटी ने इस खास मौके पर अकीदतमंदों के लिए खास इंतेजाम किया है। कमेटी के लोगों ने बताया कि शब ए बारात को लेकर डोरंडा कब्रिस्तान को पूरी तरह से साफ-सफाई कर दी गई है। ताकि किसी को भी रात में किसी तरह की कोई परेशानी न हो। जगह-जगह बत्ती लगाया गया है। आनेवाले सभी लोगों को लिए कमेटी की ओर से चाय का इंतेजाम किया गया है। साथ ही जो रोजा रखेंगे उसके लिए सेहरी का भी इंतजाम किया गया है। नमाम के लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है। डोरंडा कब्रिस्तान कमेटी के सदर अनवर खान, सेक्रेटरी जुबेर अहमद, कैशियर आसिफ इकबाल उर्फ पिंकू, आफताब रिजवी, आरिफ जमाल, रिंकू भाई, नज्जू भाई, मो कफील गद्दी, हाजी मुख्तार, मो फिरोज, मौलाना मनीर, मो फिरोज, पप्पू आलम, साजिद गद्दी, चंपा आदि ने इस कार्या को अंजाम देने में अपनी अहम भूमिका निभाई।
कब्रों पर जाकर फातिहा पढ़ी जाती है
इस पवित्र रात में अल्लाह तआला सब मुसलमानों पर अपनी खास रहमत नाजिल फरमाते हैं। साथ ही जो बंदा सच्चे दिल से रोकर तौबा कर लेता है, उसके अगले पिछले सब गुनाह चाहे वो समंदर के झाग के बराबर हो, मुआफ कर दिए जाते हैं। साथ ही मस्जिदों और कब्रिस्तानों में रौशनी का एहतिमाम किया जाता है। कब्रों पर जाकर फातिहा पढ़ी जाती है। भारत में शाबान का चांद 11 फरवरी को नजर आया था, तो शाबान की पहली तारीख 12 फरवरी हुई। ऐसे में Shab E Barat का त्योहार शाबान की 14वी रात यानी 25 फरवरी की रात में मनाया जाएगा। वहीं, अगले दिन शाबान का रोजा भी रखा जाएगा।
शबे बारात के 14 दिन बाद रमजान
शबे बारात के 14 दिन बाद ही रमजान का पवित्र महीना शुरु होने वाला है। भारत में चांद दिखने पर रमजान का पाकीजा महीना 11 या फिर 12 मार्च 2024 से शुरू होगा। रोजे की हालत में मुस्लिम बंधु अल्लाह की रजा के लिए नेक काम करते हैं, बुराई से खुद को पाक रखते हैं। कुरआन मजीद की जमकर तिलावत यानी पाठ करते हैं। साथ ही इशा की नमाज के बाद तरावीह की खास नमाज भी पढ़ते हैं।