ED ने भेजा समन : 24 मई को ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव मनीष रंजन को पूछताछ के लिए ईडी ने ऑफिस बुलाया
रांची। ग्रामीण विकास विभाग में अब अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। ईडी की ओर से मंत्री आलमगीर आलम, मंत्री के पीए संजीव लाल व लाल के नौकर जहांगीर आलम को गिरफ्तार करने के बाद ईडी ने कोर्ट में टेंडर कमीशन के खेल को लेकर कई बड़े-बड़े खुलासे किए हैं। अब ईडी ने ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव मनीष रंजन (IAS) को समन भेजकर 24 मई को पूछताछ के लिए एयरपोर्ट स्थित ईडी ऑफिस बुलाया है। इसी कड़ी में मनीष रंजन का भी नाम सामने आया है। मनीष रंजन वर्तमान में भू-राजस्व, सड़क व भवन निर्माण विभाग में सचिव हैं। ईडी ने उन्हें 24 मई को ईडी के रांची एयरपोर्ट रोड स्थित अंचल कार्यालय में बुलाया है। ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन में शामिल बड़े गिरोह के खुलासे के क्रम में ही मनीष रंजन का नाम सामने आया है। अब ईडी के अधिकारी मनीष रंजन से टेंडर कमीशन की राशि की जानकारी हासिल करेगी। बता दें कि ईडी ने कोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग में हुए टेंडर कमीशन घोटाले में चीफ इंजीनियर से लेकर मंत्री आलमगीर आलम तक कमीशन फिक्स था। टेंडर से मिले कमीशन के रुपए बांटने के लिए सिंडिकेट के लोग कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे।
5 दिन की ईडी रिमांड पर मंत्री
झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम (Alamgir Alam) को ईडी ने बुधवार को दिन के 12 बजे पीएमएलए कोर्ट में पेश किया। Ed ने कोर्ट से 8 दिनों का रिमांड को लेकर प्रेयर किया, जहां कोर्ट ने ईडी को 5 दिनों का और रिमांड मंत्री आलमगीर आलम को लेकर दिया। मंत्री के कोर्ट में आने से पहले सुरक्षा चाक चौबंद थे। बता दें कि मंत्री की छह दिनों की रिमांड बुधवार को खत्म हुई। इसी के बाद ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को कोर्ट में पेश किया। इससे पहले ईडी ने गिरफ्तार मंत्री से छह दिनों की रिमांड में ग्रामीण विकास विभाग में मची पैसों की लूट व कमीशन की जानकारी ली। इतना ही नहीं मंगलवार को ईडी ने कोर्ट में बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि कैसे ग्रामीण विकास विभाग में कोडवर्ड के जरिए भ्रष्टाचार किया जा रहा था। ईडी ने कोर्ट में यह भी बताया है कि जेल में बंद मंत्री के पीए संजीव लाल के नौकर जहांगीर के यहां से बरामद पैसे (करोड़ों) मंत्री आलमगीर आलम के हैं। ईडी ने जो खुलासे किए उसने इस विभाग की भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी और घोटालों की पोल खोल कर रखी दी है। ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री को पैसे देने के लिए कोड का इस्तेमाल किया जाता था।
15 मई को मंत्री को ईडी ने गिरफ्तार किया था
बता दें कि ईडी ने 6 मई 2024 को संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम के घर पर रेड मारी थी। रेड के दौरान जहांगीर के फ्लैट से करोड़ों रुपए कैश बरामद किए गए थे। साथ ही कई सरकारी दस्तावेज भी मिले थे। वहीं, संजीव के घर से भी लाखों रुपए कैश व सरकारी दस्तावेज मिले थे। 6 मई की रात को संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। ईडी के द्वारा पूछताछ के बाद मंत्री आलमगीर आलम का नाम सामने आया। फिर ईडी ने मंत्री को समन भेजा। पहले समन पर ही मंत्री ने ईडी कार्यालय आया। जहां 15 मई को उन्हें ईडी ने पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था।
डायरी में कोडवर्ड M व H का इस्तेमाल
ग्रामीण विकास विभाग में ठेकों में रिश्वतखोरी को लेकर ईडी ने मंगलवार को कोर्ट में सौंपे दस्तावेज में बताया है कि मंत्री आलमगीर आलम के लिए रिश्वत की रकम की गणना के लिए किताब में कोड एम और एच का इस्तेमाल किया गया था। एम का मतलब मिनिस्टर और एच का मतलब ऑनरेबल मिनिस्टर था। ईडी ने कोर्ट में एक डायरी भी दाखिल की है, जो जहांगीर आलम के घर से बरामद हुई थी। डायरी में मंत्री के लिए एम लिखा है तो कई जगह एच के लिए कोड एच लिखा हुआ है। साथ ही एस का भी जिक्र है। ईडी ने सैंपल के तौर पर एक पेज कोर्ट को दिया है, प्रत्येक डिवीजन में किस कंपनी को ठेका दिया गया, इस कंपनी ने कितना भुगतान किया, साथ ही भुगतान का कितना हिस्सा मंत्री को मिला, इसका विवरण इस पृष्ठ पर उपलब्ध है। यहां एम कोड के साथ 123 लाख रुपए का जिक्र हैं, कुल कलेक्शन करीब 223.77 लाख रुपए रहा है।
डायरी में मिले मनीष व उमेश के नाम
डायरी में हिसाब-किताब में M, H, S के अलावा मनीष और उमेश नाम के शख्स का भी जिक्र है। एक पन्ने में मनीष को 4.22 करोड़ और उमेश को 5.95 करोड़ रुपए देने का जिक्र है। ईडी इस बात की जांच कर रही है कि डायरी में जिन मनीष और उमेश नाम के लोगों का जिक्र है, वह कौन है।
जहांगीर के यहां मिले पैसे मंत्री के
ईडी ने मंगलवार को कोर्ट में यह भी दावा किया है कि मंत्री के लिए ग्रामीण विकास विभाग में जुटाए गए सारे पैसे और खुद से जुड़े दस्तावेज संजीव लाल के जरिए जहांगीर के फ्लैट में रखते थे। जहांगीर के घर से बरामद पूरे 32.20 करोड़ रुपए (6 मई 2024) आलमगीर आलम के हैं, वहीं, ईडी ने कोर्ट को बताया है कि सरकारी दस्तावेज, हिसाब-किताब की डायरी समेत वहां जो भी चीजें मिलीं, उन्हें आलमगीर आलम के निर्देश पर संजीव लाल ने वहां रखा था।