कानून बनाने को लेकर बवाल : भाजपा सांसद निशिकांत दुबे बोले- ‘सुप्रीम कोर्ट बनाएगा कानून तो संसद भवन बंद करो


न्यायपालिका-विधायिका की टकराव की रेखा: वक्फ मामले ने बढ़ाई बहस की गर्मी
रांची। झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एक विवादास्पद बयान देते हुए सवाल उठाया है कि यदि सर्वोच्च न्यायालय कानून बनाने का कार्य करेगा तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए। दुबे ने यह टिप्पणी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर वक्फ संशोधन कानून और राष्ट्रपति द्वारा पॉकेट वीटो के उपयोग से जुड़े मामले पर चल रही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के संदर्भ में की है। इससे पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्ति-विभाजन की सीमाओं पर चिंता जताई थी। निशिकांत दुबे के इस बयान ने एक बार फिर इस बहस को हवा दी है कि क्या न्यायपालिका को विधायिका के दायरे में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी हाल में कहा था कि संविधान में शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा है और न्यायपालिका को विधायी प्रक्रियाओं में दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा था कि सरकार और न्यायालयों को एक-दूसरे के क्षेत्राधिकार का सम्मान करना चाहिए।
कोर्ट का हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए एक सुरक्षा कवच
हालांकि, निशिकांत दुबे के इस विचार पर कुछ विशेषज्ञों ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का प्राथमिक दायित्व कानून बनाना नहीं, बल्कि संविधान की व्याख्या करना और उसकी रक्षा करना है। उनका तर्क है कि यदि संसद मनमाने ढंग से ऐसे कानून बनाए जो संवैधानिक मूल्यों के विपरीत हों, तो न्यायपालिका का हस्तक्षेप लोकतंत्र के लिए एक सुरक्षा कवच का काम करता है। भारतीय संविधान शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत पर आधारित है, जहां विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाए रखना अनिवार्य माना गया है। इसलिए, विशेषज्ञ मानते हैं कि संस्थाओं के बीच समन्वय और परस्पर सम्मान ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुचारु बनाता है।