+91 6205-216-893 info@newsboxbharat.com
Thursday, February 13, 2025
Latest Hindi NewsNews

‘टाइगर’ तो आखिर ‘टाइगर’ ही होता है : चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा देकर सबका दिल जीत लिया

Jharkhand districts news | jharkhand latest news | jharkhand latest hindi news | jharkhand news box bharat
Share the post

इसी साल 2 फरवरी को सीएम बने थे, 3 जुलाई को इस्तीफा दे दिया

रांची।  ‘टाइगर’ की पहचान बस यही है की वो ‘टाइगर’ है, जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड के राजनीति के ‘टाइगर’ की। ये ‘टाइगर’ चंपई सोरेन। चंपाई सोरेन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के ‘हनुमान’ माने जाते हैं। ये झामुमो के वर्तमान विधायकों में सोरेन परिवार के सबसे अधिक विश्वसनीय हैं। झारखंड आंदोलन में भी इन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ये ‘टाइगर’ के नाम से भी जाने जाते हैं। आज यानी बुधवार 3 जुलाई 2024 को झारखंड के सीएम की पद से इस्तीफा दे दिया। बड़े दिल वाले चंपई सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा देकर सबका दिल भी जीत लिया। सुबह से कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन सारी कयासो को चंपई सोरेन ने विराम लगा दिया। ईडी के द्वारा 31 जनवरी 2024 को झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को अरेस्ट करने के बाद चंपई सोरेन ने 2 फरवरी 2024 को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वहीं, आज 3 जुलाई 2024 को उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।

सीएम रहते बेहद सादगी के साथ काम किया

झारखंड के सीएम रहते चंपई सोरेन ने कई बड़े फैसले लिए। वे झारखंड की राजनीति में एक जुझारू नेता के रूप में जाने जाते हैं। सीएम रहते हुए भी उन्होंने बेहद सादगी व ईमानदारी के साथ अपना काम किया। चंपई सोरेन लगातार चार बार से सरायकेला से विधायक रहे हैं। हालांकि साल 2000 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद वो लगातार चुनाव में विजयी रहे। झारखंड सरकार में मंत्री भी बने। चंपई सोरेन सामान्य किसान परिवार से आते हैं। वो अपने माता पिता की सबसे बड़ी संतान हैं। कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई, उनके तीन बेटे और 2 बेटियां हैं।

झारखंड आंदोलन में अहम भूमिका रही

झारखंड आंदोलन में चंपई सोरेन की अहम भूमिका रही. चंपई सोरेन ने शिबू सोरेन के साथ अलग राज्य के आंदोलन में शामिल हुए। अपने लोगों के बीच वो झारखंड टाइगर के नाम से जाने जाते हैं। पहली बार वो सरायकेला सीट से निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद वे झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो गए। 2010 में अर्जुन मुंडा की सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। 2019 में जब झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनी तो हेमंत कैबिनेट में वो फिर से मंत्री बनाए गए। इसके साथ ही वो झामुमो के उपाध्यक्ष भी हैं। मैट्रिक पास चंपई सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से वर्ष 1991 में सबसे पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे। इसके बाद उन्होंने 1995 में झामुमो के टिकट पर चुनाव जीता। वर्ष 1991 से लेकर 2019 के विधानसभा चुनाव तक इनकी केवल वर्ष 2000 में हार हुई थी।

Leave a Response