दिल्ली की ओर से WPL 2024 का फाइनल खेलने वाली Minnu Mani की संघर्ष की कहानी
महिला प्रीमियर लीग ने मिनु मणि का जीवन बदल डाला
रांची। आज सुपर संडे में WPL 2024 Final मुकाबला दिल्ली कैपिटल्स व रॉयल चैलेंजर्स बंगलुरू के बीच खेला जाएगा। दिल्ली की टीम में एक ऐसी प्लेयर हैं, जिनके बारे में सभी को जानना चाहिए। वो नाम है Minnu Mani, यानी संघर्ष की कहानी। कभी आर्थिक तंगी ने परेशान किया। पैसे के लिए मोहताज बनी, लेकिन आज वो खेल से लाखो कमा रही है। मिनु मणि की क्रिकेट यात्रा बहुत ही प्रेरणादायक है। वह केरल की एक आदिवासी लड़की हैं, जहां लड़कियों को आमतौर पर खेलने की अनुमति नहीं होती है। उनकी प्रतिभा को उनकी शारीरिक शिक्षिका एलसाम्मा बेबी ने पहचाना और उन्हें वायनाड जिला क्रिकेट संघ में नामांकित किया। मिनु ने कड़ी मेहनत की और स्कूल के बाद और यहां तक कि रविवार को भी अभ्यास किया। उन्होंने वायनाड जिले के लिए चुने जाने के बाद ही अपने माता-पिता को बताया। वह प्रशिक्षण के लिए कृष्णागिरी गईं, जो डेढ़ घंटे दूर था। वहां के कोचों और केरल क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव ने भी उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें केरल क्रिकेट अकादमी में दाखिला लेने के लिए कहा, जहां छात्रावास की सुविधा भी थी।
पारिवारिक जीवन काफी संघर्ष भरा रहा
मिनु मणि की पारिवारिक जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। पिता के दिहाड़ी मजदूर होने के कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वह अपने पिता के साथ खेतों में काम करती थीं और वहीं पर उन्होंने लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। लेकिन पिछले साल केरल में आई बाढ़ में उनका घर डूब गया। इसके बाद गांव वालों ने चंदा इकट्ठा करके उनका घर ठीक करवाया। इसके बाद तिरुवनंतपुरम में केरल क्रिकेट एसोसिएशन के ओपन ट्रायल में भाग लिया और वहां से वह भारतीय टीम में जगह बनाने कामयाब रहीं।
महिला प्रीमियर लीग ने जीवन बदला
मिनु ने क्रिकेट तो जारी रखा लेकिन उन्हें मैदान के बाहर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2018 के बाढ़ के दौरान उनके परिवार का निर्माणाधीन घर भूस्खलन में बह गया था। महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) ने उनका जीवन बदल दिया। दिल्ली कैपिटल्स की कप्तान मेग लैनिंग ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और उन्हें गेंदबाजी में सुधार करने में मदद की। मिनु ने डब्ल्यूपीएल के बाद अच्छा प्रदर्शन किया और उन्हें राष्ट्रीय टीम में भी चुना गया। इससे उन्हें आर्थिक रूप से मदद मिली और उनके माता-पिता का कर्ज चुकाने में मदद मिली। डब्ल्यूपीएल ने न केवल उनके क्रिकेट को बेहतर बनाने में मदद की बल्कि उनके संचार कौशल को भी निखारा। वह अब विदेशी खिलाड़ियों के साथ भी बातचीत कर सकती हैं। अब उनके माता-पिता अपनी बेटी को टीवी पर खेलते हुए देखते हैं। वह महिला प्रीमियर लीग में दिल्ली कैपिटल्स के लिए खेलती हैं। घरेलू क्रिकेट में वह केरल क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह भारत के लिए खेलने वाली केरल की पहली महिला क्रिकेटर बनीं।
ट्रेनिंग के लिए 42 किलोमीटर दूर जाती थीं
मिनु एक ऑलराउंडर हैं, जो बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने के साथ ही ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी करती हैं। मिन्नू मणि 24 साल की हैं और कुरचिया जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। मिन्नू मणि के पिता का नाम मणि सीके है, जो पेशे से मजदूर और मां गृहणी है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। माता-पिता मिन्नू के क्रिकेट खेलने को पसंद नहीं करते थे लेकिन मिन्नू घरवालों से झूठ बोलकर क्रिकेट खेला करती थीं। क्रिकेट ट्रेनिंग के लिए 42 किलोमीटर दूर चार बस बदलकर जाती थीं। वह 10 साल की उम्र से ही क्रिकेट खेल रही हैं। जब वह 8वीं कक्षा में थीं, तब से ही उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से लेते हुए करियर बनाने का निर्णय लिया।