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चंद्रयान की लैंडिंग में दिक्कत आती है तो 27 अगस्त तक इसे टाल दिया जाएगा
![Chandrayaan-3 Mission: New video of moon released, India is going to create history](https://newsboxbharat.com/wp-content/uploads/2023/08/6565-1024x500.webp)
MOX/ISTRAC पर लैंडिंग ऑपरेशन का सीधा प्रसारण 23 अगस्त को शाम 5:20 बजे शुरू होगा
रांची। चंद्रयान-3 मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने एक नया वीडियो पोस्ट कर मिशन को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है। एजेंसी ने बताया कि मिशन तय समय पर है सिस्टम की जांच भी नियमित की जा रही है। इसके साथ ही मिशन की निगरानी कर रहा परिसर भी जोश और ऊर्जा से भरा है। पूरा प्लान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान-3 मिशन अब अपने मिशन से महज एक कदम की दूरी पर है। 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडर विक्रम की लैंडिंग होने वाली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ही इस मिशन का असली काम शुरू होगा। बता दें कि इस समय चंद्रयान-3 का लैंडर अपने ऑर्बिटर से अलग होने के बाद चांद के बेहद करीब चक्कर लगा रहा है। लैंडर के सतह पर उतरने के बाद इसमें से रोवर प्रज्ञान निकलेगा और वह 14 दिनों तक रिसर्च करेगा।
चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक दिन होता है
चंद्रयान-मिशन के सफल होने के बाद चांद की सतह पर लैंडर और रोवर क्या करेंगे और इससे भारत समेत दुनिया को कितना बड़ा फायदा हो सकता है। चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक दिन होता है। ऐसे में दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने के बाद लैंडर और रोवर के पास काम खत्म करने के लिए 14 दिन का वक्त होगा। इस दौरान चांद पर धूप रहेगी और दोनों को सोलर एनर्जी मिलती रहेगी। 14 दिन बाद दक्षिणी ध्रुव पर अंधेरा हो जाएगा और फिर ये दोनों ही काम करने बंद कर देंगे। रोवर प्रज्ञान का अपना वजन 26 किलो का है और यह 50 वॉट पावर से चलता है। इसपर दो पेलोड्स भी हैं।
धरती तक ऐसे आएगी जानकारी
रोवर सीधे ऑर्बिटर से बात नहीं कर सकता है। यह केवल लैंडर विक्रम के साथ ही संवाद कर सकता है। विक्रम सारी जानकारी को ऑर्बिटर को भेजेगा और वहां से धरती तक जानकारियां पहुंचेंगी। लैंडर पर तीन पेलोड हैं। इनमें से एक चांद की सतह पर प्लाज्मा (आयन्स और इलेट्रॉन्स) के बारे में जानकारी जुटाएगी। दूसरा चांद की सतह की तापीय गुणों के बारे में अध्ययन करेगा और तीसरा चांद की परत के बारे में जानकारी लेगा। यह भी पता लगाएगा कि चांद पर भूकंप कितना और कैसे आता है।
रोवर का कार्य काफी जटिल होता है
रोवर प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं। रोवर का काम काफी जटिल है। यही चांद की सतह पर खनिज पानी आदि की मौजूदगी पता लगाएगा। इसके अलावा चांद पर मौजूद चट्टान और मिट्टी का भी अध्ययन करेगा। रोवर की रफ्तार 1 सेंटीमीटर प्रतिसेकंड होगी। यह कैमरे के जरिए तस्वीरें लेता रहेगा और विक्रम को भेजता रहेगा। इसमें छह पहिए हैं। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अगर चंद्रयान की लैंडिंग में कोई भी दिक्कत आती है तो 27 अगस्त तक इसे टाल दिया जाएगा। चंद्रयान – 3 की सफलता से पूरी दुनिा को फायदा होगा। अभी तक चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कोई भी देश नहीं करा पाया है। रूस ने कोशिश की तो उसका लूना-25 लैंडिंग से ठीक पहले क्रैश हो गया। अगर चांद पर नमी की मौजूदगी का पता चलता है तो यह पूरी दुनिया के लिए बड़ी बात होगी। NASA का अगला मानव मिशन भी चंद्रयान-3 से मिली जानकारी पर निर्भर करता है।