Chandrayaan-3 Mission: भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बना


रांची। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग किया। चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया है। चंद्रयान 3 ने चांद की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग की है। ये भारत के लिए ऐतिहासिल पल है। दुनियाभर के लोग भारत के इस मिशन पर नजर बनाए हुए थे। इस मौके पर पीएम मोदी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, ‘ये क्षण अभूतपूर्व है। इंडिया इज नाउ ऑन द मून। भारत के चंद्रयान-3 ने बुधवार को 21वीं सदी का शानदार इतिहास रचते हुए चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक अपनी लैंडिंग कर ली। करीब 19 मिनट तक दुनिया की निगाहें चंद्रयान-3 पर टिकीं रहीं और ISRO ने इसे यादगार पल का नाम देते हुए बुधवार को 140 करोड़ भारतीयों के सपनों को पंख दे दिया और चांद पर भारत का झंडा लहरा दिया। लैंडिंग के साथ ही छह पहियों वाला रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह को छूते हुए रैंप के सहारे लैंडर से बाहर आ गया।करीब 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धीमा होकर करीब 0 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर आकर लैंडर चांद की सतह पर सफलतापूर्वक पहुंच गया। ISRO ने इतनी सुरक्षा के साथ इसे डिजाइन किया था कि अगर यह 10 किलोमीटर की रफ्तार से भी लैंडिंग करता तो इसपर कोई नुकसान नहीं होने वाला था। इस सफर में सबसे कठिन फेज बुधवार यानी 23 अगस्त को 5 बजकर 47 मिनट से 6 बजकर 4 मिनट का रहा। ये 17 मिनट यात्रा में सबसे अहम हिस्सेदार थे, क्योंकि इस दौरान लैंडर के इंजन को सही समय और उचित ऊंचाई पर चालू करना था और नीचे उतरने से पहले ही यानी चांद की सतह पर उतरने के बिल्कुल पहले यह भी पता लगाना था कि यहां कोई पहाड़ी, गढ्ढे या और कोई रुकावट वाली चीज न हो ताकि लैंड करते समय किसी भी दुर्घटना से बचा जा सके।
साउथ पोल पर लैंडिंग कर भारत बना पहला देश
ISRO के मून मिशन की सफलता के साथ ही एक और इतिहास भारत के नाम हो गया है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने के बाद अमेरिका, चीन और सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन गया। बता दें कि इसके पहले, 21 अगस्त को ही रूस के Luna-25 अंतरिक्ष यान को चांद पर उतरना था लेकिन उसका मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया और मिशन फेल हो गया।
केवल 600 करोड़ के खर्च में चांद पहुंचा चंद्रयान
केवल 600 करोड़ के खर्च में भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग को देखकर केवल देश के लोग ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोग काफी उत्साहित हैं। ISRO का चंद्रयान-3 मिशन इस बार बड़ी सावधानी और सतर्कता के साथ सफल किया गया। करीब 4 साल पहले,साल 2019 में, चंद्रयान-2 की विफलता के बाद इस बार ISRO ने विफलता आधारित डिजाइन (failure-based appfroach) का चुनाव किया था। विफलता यानी सेंसर का फेल होना, इंजन का फेल हो जाना या एल्गोरिदम का सही काम न करना जैसी कई चीजें। इसमें इ्स बात पर फोकस किया गया था कि मिशन के दौरान क्या-क्या फेल हो सकता है और सफल लैंडिंग कराने के लिए इसे कैसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाया जाए।
14 जुलाई को चंद्रयान-3 ने भरी थी उड़ान
14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर भारत का मून मिशन चंद्रयान चांद पर पहुंचने के लिए उड़ान भर दी थी। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM-3 M4 रॉकेट चंद्रयान-3 को लेकर रवाना हुआ था। इसके बाद मिशन चंद्रयान को कई दौर से गुजरना पड़ा। पृथ्वी से दूर कई बार चंद्रयान ने ऑर्बिट में घूमते हुए कक्षाएं बदली थी।बता दें कि 18 और 19 अगस्त को लैंडर, जिसे विक्रम नाम दिया गया है और रोवर, जिसे प्रज्ञान नाम दिया गया है से युक्त लैंडर मॉड्यूल दो बार डिबूस्टिंग यानी धीमा करने की प्रक्रिया के बाद चंद्रमा की सबसे करीबी सतह पर पहुंच गया था।
50 साइंटिस्ट की रात आंखों में कटी
ISRO के बंगलुरु स्थित टेलीमेट्री एंड कमांड सेंटर (इस्ट्रैक) के मिशन ऑपरेशन कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) में 50 से ज्यादा वैज्ञानिक कंप्यूटर पर चंद्रयान-3 से मिल रहे आंकड़ों की रात भर पड़ताल में जुटे रहे। वे लैंडर को इनपुट भेज रहे हैं, ताकि लैंडिंग के समय गलत फैसला लेने की हर गुंजाइश खत्म हो जाए। सभी सांकेतिक भाषा में बात कर रहे हैं। कमांड सेंटर में उत्साह-बेचैनी का मिला-जुला माहौल है। ISRO वैज्ञानिक बेंगलुरु स्थित ISRO टेलिमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इस्ट्रैक) और ब्यालालू गांव स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क पर मिल रहे डेटा के अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के जर्मनी स्थित स्टेशन, ऑस्ट्रेलिया और नासा के डीप स्पेस नेटवर्क से रियल टाइम डेटा लेकर वेरिफिकेशन कर रहे हैं।
