रांची! मशहूर शायर मुनव्वर राणा का रविवार को निधन हो गया. वह 71 वर्ष के थे, उन्होंने लखनऊ के पीजीआई में अंतिम सांस ली. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था. मुनव्वर राणा की हिंदी, अवधी, उर्दू भाषा में कई रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है. हालांकि देश में असहिष्णुता का आरोप लगाते हुए उन्होंने अवॉर्ड वापस लौटा दिया था. पिछले साल मई में भी बिगड़ी थी तबियत वहीं पिछले साल मई में भी उनकी हालात काफी ज्यादा बिगाड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें लखनऊ के अपोलो अस्पताल में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था. उस समय शायर के पित्ताशय (गाल ब्लैडर) का ऑपरेशन हुआ था, जिसके बाद से उनकी तबीयत बिगड़ गई थी. हालांकि उस समय वह ठीक हो गए थे. वहीं, पिछले दिनों किडनी संबंधित परेशानियों के बाद उन्हें एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था,यहां वह आईसीयू वार्ड में भर्ती थे. जिसके बाद रविवार देर रात साढ़े 11 बजे के आसपास उन्होंने अंतिम सांस ली.
मां पर लिखी अपनी रचनाओं के लिए थे प्रसिद्ध
रायबरेली जिले के मूल निवासी मशहूर शायर राणा को साल 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. ‘मां’ पर लिखी अपनी रचनाओं से शायर राणा ने देश-विदेश में खूब ख्याति अर्जित की. शायर मुनव्वर राणा जितने ज्यादा मशहूर रहे उतने ही विवादों में भी रहे. पिछले साल ही उन्होंने पिछले साल ही वाल्मीकि समुदाय की तालिबान से तुलना की थी जिसके बाद बवाल मच गया था.इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने इस मामले में हजरतगंज कोतवाली में शायर मुनव्वर राणा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में उनकी गिरफ्तारी पर भी रोक लगाने से इनकार कर दिया था.