भाजपा सांसद बृजभूषण की गिरफ्तारी को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने अलबर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया
कुश्ती खिलाड़यों के ऊपर हुए पुलिस हमले व अयोध्या की छात्रा अनन्या की बलात्कार और हत्या के खिलाफ रोड में उतरे लोग
रांची। महिला कुश्ती खिलाड़यों के ऊपर हुए पुलिस हमले और अयोध्या की छात्रा अनन्या की बलात्कार और हत्या के खिलाफ कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियनों ने अलबर्ट एक्का चौक पर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्षन में इंटक, सीटू, ऐक्टू, एटक व एआईयूटीयूसी से जुडे मजदूर कर्मचारी, महिलाएं बड़ी संख्या में शामिल हुईं। विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एटक के प्रदेश महासचिव अशोक यादव ने कहा की देश में भाजपा सरकार द्धारा बलात्कारियों को राजनितिक संरक्षण दिया जा रहा है। केंद्र सरकार को अब बताना होगा की वे बेटियों के पक्ष में हैं या बलात्कारियों के पक्ष में, जवाब नहीं मिला तो लड़ाई का खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा। वहीं, ऐक्टू के प्रदेश महा सचिव शुभेंदु सेन ने कहा की भाजपा राज में बलात्कार की घटनाओं की बाढ़ आ गईं है। यह आरएसएस की दिशा में देश को चलाने की सरकार की नीतियां की देन है। कुश्ती खिलाड़ियों को न्याय नहीं मिलने तक आन्दोलन जरी रहेगा। सीटू नेता अनिर्बान बॉस ने कहा कि महीला कुश्ती खिलाड़ियों के पदक जीतने पर फोटो खींचा कर गर्व महसूस करने वाले नेताओ को अब ये जवाब देना पड़ेगा की कानून का राज़ क्यों आज कटघरे में खडा हो गया है। विरोध प्रदर्शन मे इंटर के सचिव संजीव सिन्हा, रेशमा खातून, एआईटीयूसी के मिंटू पासवान, बगाईचा के फॉदर टॉम, ऐक्टू के भुवनेश्वर केवट, सुदामा खलखो, भीम साहू, तारामणि साहू, इकबाल हसन, सीटू के एस के रॉय, नवीन चौधरी, बिना लिंडा, शान्ति सेन, बैंक फेडरेशन नेता अभिजीत मल्लिक, एटक से सुनील साह, अलोका कुजूर अजय सिंह, इंटक के जॉन पॉल आदी मुख्य रुप से उपस्थित थे ।
पहलवान के साथ क्या हुआ क्या नही हुआ यह एक राज है। क्योंकि जितना दोषी जुर्म करने वाला होता है उतना ही दोषी जुर्म सहने वाला होता है। पहलवानों के बयानों को सुनें हमेशा बदलते रहा है और बयान देने के लिए बाकायदा बाहरी लोगों का ड्राफ्ट होता था। कहते हैं कि सैकड़ों महिलाओं के साथ यौन शोषण हुआ है और लगभग 2015 -17 से हो रहा है। इतने सालों से चुप क्यों? क्या सैकड़ों पीड़ित से कोई भी आवाज क्यों नही उठाया? सैकड़ों पीड़ित सारे शोषण को अपने अंदर क्यों दबा कर बैठे रही? क्यों नही अपने परिवार को भी नही बताया? किसी परिवार में दम नही था कि अपनी बेटी के न्याय के लिए गुहार लगाए? इतने सालों के बाद अचानक कहाँ से इतनी तागत आ गई केंद्र सरकार का विरोध करने के लिये? जिसका शोषण के बाद मुँह नही खुल रहा था, वह आज केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन करने लगे। आज जो आन्दोलनजीवी समर्थन कर रहे हैं क्या वह पहले किसी खिलाड़ी को कभी मदद किये हैं? इस खेल के पीछे बहुत बड़ा खेल है। जिसको समझने के लिए बहुत बारीकी से खेल संघ के नियम, जो आंदोलन कर रहे पहलवानों की खेल की स्तिथि, खेल संघ पर कब्जे को समझना होगा। यह आंदोलन बकायदा प्रायोजित था। देश में कुछ आन्दोलनजीवी का ग्रुप है जो वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले या आंदोलनकर्ता को हाईजैक करके उनके भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं और अपने अनुसार आंदोलन की आवाज उठाते हैं। खिलाड़ी बहुत शांत स्वभाव के होते हैं। उनको राजनीति से दूर दूर तक नाता नही होता है। उनको प्रशिक्षण से फुर्सत नही मिलता है जो वह राजनीति को समझे। हो सकता है खिलाड़ी के साथ अन्याय हुआ होगा, उसके लिए बहुत सारे उपाय है। लेकिन इनलोगों ने तो गलत लोगों का समर्थन ले कर अपने आंदोलन को गलत दिशा में ले गए। अगले वर्ष देश में चुनाव होने वाले हैं। अभी ऐसे बहुत आंदोलन देखने को मिलेंगे। प्रायोजक ऐसे लोगों के तलाश में बैठे हुए हैं।