रांची। सीएम हेमंत सोरेन पलामू के मेदिनीनगर में करीब 28 करोड़ की लागत से स्थापित मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट का उद्घाटन 4 अक्टूबर दिन के एक बजे करेंगे। वहीं, ईडी के द्वारा पांचवें समन भेजे जाने के बाद भी झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं होंगे। ईडी ने उन्हें 4 अक्टूबर को उपस्थित होने को कहा है। लेकिन सीएम इस दिन पलामू में एक कार्यक्रम में शरीक होंगे। सीएम ने अपने X अकाउंट पर कार्यक्रम की जानकारी भी शेयर किए हैं। मौके पर कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के मंत्री बादल, योजना सह वित्त विभाग के मंत्री रामेश्वर उरांव, मेधा डेयरी प्लांट के एमडी सुधीर कुमार सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहेंगे। 5 एकड़ की भूमि पर पलामू में स्थापित मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। दूध का प्रोसेसिंग से लेकर पैकेजिंग की बेहतर सुविधा है। उद्घाटन के उपरांत मेधा नाम से उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो जायेंगे। मेधा डेयरी प्लांट से पलामू प्रमंडल के 25 हजार से अधिक पशुपालक किसान भाईयों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। वर्तमान में यहां दूध की पैकेजिंग होगी। भविष्य में यहां दही, पनीर, लस्सी, पेड़ा, राबड़ी एवं गुलाब जामुन का निर्माण कर बाजार में उतारा जायेगा। पलामू का मेधा डेयरी प्लांट राज्य का सातवां डेयरी प्लांट है। इसके पूर्व से रांची, देवघर, कोडरमा, लातेहार, सारठ एवं साहिबगंज में प्रोसेसिंग प्लांट कार्यशील है।
ED ने आज बुलाया था
ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन को पाँचवाँ समन भेजकर 4 अक्टूबर को उपस्थित होने को कहा है। ईडी ने सीएम से जमीन घोटाले और उनकी संपत्ति के बारे में पूछताछ करना चाहती है। इसके खिलाफ उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रखी है, जिस पर अब तक सुनवाई नहीं हुई है। सोरेन ने ईडी के पिछले चार समन पर लिखित जवाब भेजा था। उन्होंने अदालत में उनकी याचिका पर सुनवाई होने तक ईडी से समन स्थगित रखने को कहा था। हाईकोर्ट में दायर य़ाचिका में सोरेन ने ईडी की शक्तियों को चुनौती देते हुए उसकी ओर से की जा रही कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया है। इसके पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर क्रिमिनल रिट पिटीशन दायर किया था, लेकिन उन्हें वहां से कोई राहत नहीं मिली थी। 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने सोरेन की याचिका में उठाए गए बिंदुओं पर सुनवाई से इनकार करते हुए उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी। इसके बाद 23 सितंबर को सोरेन की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। उन्होंने याचिका में पीएमएलए (प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता पर सवाल उठाया है। इसमें कहा गया है कि जांच एजेंसी को धारा 50 के अंतर्गत बयान दर्ज कराने या पूछताछ के दौरान ही किसी को गिरफ्तार कर लेने का अधिकार है। इसलिए समन जारी करने के बाद गिरफ्तारी का डर बना रहता है।