

सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति हुई
रांची। झारखंड में खनन पट्टा का निबंधन लेना अब आसान नहीं होगा। एजी की आपत्ती व राजस्व नुसकान को देखते हुए इसके लिए नियम सख्त किए गए हैं। महालेखाकार की आपत्ति के बाद अब खनन पट्टा पर मुद्रांक शुल्क एवं निबंधन शुल्क को प्रभावित करने वाले समस्त तथ्यों का पूर्णरूप के वर्णन कराया जाएगा। इसके बाद ही प्रमंडलीय आयुक्त की ओर से अनुमोदित लीज प्रारूप के आधार पर अनुमोदन प्राप्त करने के उपरांत निबंधन शुल्क की गणना पर उपायुक्त का अनुमोदन लिया जाएगा। आयुक्त-उपायुक्त की अनुमति के बाद ही अब खनन विभाग को सूचित किया जाएगा। इस संबंध में निबंधन आइजी आदित्य कुमार आनंद ने सभी उपायुक्त, जिला अवर निबंधक, सभी अवर निबंधक को पत्र लिखा है। निबंधन आइजी ने कहा है कि भारतीय मुद्रांक अधिनियम, 1899 की धारा 27 के अंतर्गत मुद्रांक की प्रभार्यता से संबधित शासन आवश्यक तथ्यों विलेख में अनिवार्य वर्णय आवश्यक है। भारतीय मुद्रांक अधिनियम 1899 की धारा 64 के अंतर्गत धारा 27 राजस्व क्षति की स्थिति में संबंधित व्यक्ति को दंडित किए जाने का स्पष्ट प्रावधान है।
राजस्व की सही वसूली के लिए आवश्यक
मुद्रांक शुल्क एवं निबंधन शुल्क की गणना निबंधन पदाधिकारी के द्वारा किया जाता है। लेकिन इस गणना का आधार दस्तावेज से प्राप्त होने वाले खनन राजस्व व नीलामी की राशि, रॉयल्टी, लगान, डीएमएफटी, भूतल लगान आदि शामिल है। जिसका स्पष्ट वर्णन दस्तावेज में आवश्यक है। निबंधन आइजी ने कहा कि राजस्व की सही वसूली के लिए यह आवश्यक है कि खनन पट्टा में ऐसे समस्त तथ्यों को पूर्ण रूप से अंकित किया जाए कि जिनके आधार पर निबंधन शुल्क एवं मुद्रांक शुल्क की वसूली की जा सके। इसके लिए यह आवश्यक है कि जिला खनन कार्यालय की खनन पट्टा की निबंधन पर प्रभावी मुद्रांक शुल्क एवं निबंधन शुल्क की गणना की सूचना निबंधित होने वाले खनन पट्टा के प्रारूप के आधार पर उपलब्ध कराया जाए। निबंधित खनन पट्टा की नीलामी की राशि, डीएमएफटी एवं सभी प्रकार की सरकारी भुगतेय की राशि का स्पष्ट वर्णन नहीं होने के कारण सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व की क्षति हुई है एवं इस संदर्भ में महानिबंधक, झारखंड के द्वारा भी आपत्ति की गई है।