
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का इतिहास गौरवशाली रहा है। 1984 में राकेश शर्मा के सोवियत मिशन में शामिल होने के बाद भारत ने अंतरिक्ष में एक लंबा सफर तय किया है। अब, चार दशकों के बाद, Shubhanshu Shukla के रूप में एक और भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर उड़ान भरने जा रहे हैं। यह अवसर न केवल भारत के लिए वैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देशवासियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

Shubhanshu Shukla कौन हैं?
शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और एक अनुभवी टेस्ट पायलट हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्मे शुभांशु का सपना बचपन से ही उड़ान भरने का रहा। उन्होंने भारतीय वायुसेना में शामिल होकर Su-30 MKI, MiG-29, Jaguar जैसे लड़ाकू विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है। उन्हें तकनीकी दक्षता, सूझ-बूझ और टीम वर्क के लिए वायुसेना में अत्यंत सम्मानित किया जाता है।
गगनयान से Axiom-4 मिशन तक
शुभांशु शुक्ला को 2019 में भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए चुना गया था। इसके तहत उन्हें रूस के यूरी गागरिन कोस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में गहन प्रशिक्षण मिला। वहां उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में रहने, स्पेस सिमुलेशन, ऑर्बिटल यान संचालन और जीवन रक्षक तकनीकों में पारंगतता हासिल की।
इसी अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर, अब उन्हें Axiom Space द्वारा संचालित आगामी अंतरिक्ष मिशन Axiom-4 (Ax-4) का पायलट नियुक्त किया गया है। इस मिशन के तहत वह स्पेसX के क्रू ड्रैगन यान में सवार होकर ISS तक की यात्रा करेंगे।

Shubhanshu Shukla और Axiom-4 मिशन क्या है?
Axiom Space एक निजी अमेरिकी अंतरिक्ष कंपनी है जो मानवयुक्त स्पेस मिशनों को संगठित करती है। Axiom-4, NASA, SpaceX और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के सहयोग से संचालित चौथा निजी मिशन है।
इस मिशन में 4 सदस्य हैं:
- मिशन कमांडर पेगी व्हिटसन (पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री)
- पायलट शुभांशु शुक्ला
- मिशन विशेषज्ञों में दो और अंतरराष्ट्रीय यात्री शामिल हैं।
इस मिशन की लॉन्चिंग 10 जून 2025 को केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से SpaceX Falcon-9 रॉकेट के ज़रिए होगी। लगभग 28 घंटे की यात्रा के बाद यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से जुड़ेगा।
वैज्ञानिक उद्देश्य
Axiom-4 मिशन केवल एक भ्रमण नहीं है, बल्कि यह 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोगों से भरा हुआ है। इसमें भारत, अमेरिका, इटली और स्पेन जैसे देशों के शोध शामिल हैं। शुभांशु शुक्ला की भूमिका इनमें बेहद महत्वपूर्ण होगी।
भारत की ओर से ISRO और ICGEB जैसे संस्थान माइक्रोग्रैविटी में बीज अंकुरण, मूंग और मेथी की खेती, मानव मांसपेशियों की प्रतिक्रिया, ग्लूकोज नियंत्रण, और स्पेस बायोलॉजी पर अध्ययन करेंगे। इससे ना सिर्फ चिकित्सा और जैविक विज्ञान में नए आयाम जुड़ेंगे, बल्कि अंतरिक्ष में खेती और जीवन की संभावनाओं पर भी रोशनी डाली जा सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक भारत की पहली सीधी उपस्थिति
राकेश शर्मा ने 1984 में सोयूज टी-11 मिशन से सोवियत स्पेस स्टेशन “साल्यूट 7” तक यात्रा की थी। जबकि शुभांशु शुक्ला ऐसे पहले भारतीय होंगे जो ISS तक पहुंचेंगे, जो वर्तमान में पृथ्वी की कक्षा में मानव का सबसे बड़ा वैज्ञानिक आधार है।
यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष रणनीति को वैश्विक मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करती है। यह गगनयान और भविष्य में संभावित भारतीय स्पेस स्टेशन की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और समर्थन
शुभांशु शुक्ला के माता-पिता लखनऊ के त्रिवेणी नगर में रहते हैं। उनके पिता एक सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी हैं और माता गृहिणी। दोनों ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनका बेटा देश का नाम ऊँचा कर रहा है। उन्होंने देशवासियों से उनके लिए प्रार्थना करने की अपील की है। शुभांशु शुक्ला का यह मिशन भारत के गगनयान प्रोग्राम की जमीन तैयार करेगा। इससे भारत को अंतरिक्ष मिशन में निजी एजेंसियों के साथ सहयोग करने का अनुभव मिलेगा। आने वाले समय में भारत न केवल अपने अंतरिक्ष यात्री भेजेगा, बल्कि वह निजी और वैज्ञानिक मिशनों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाएगा। Shubhanshu Shukla आज केवल एक नाम नहीं, बल्कि भारत की नई अंतरिक्ष क्रांति का प्रतीक बन चुके हैं। उनका सफर लखनऊ की गलियों से शुरू होकर अब अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक पहुंच चुका है। यह एक ऐसे राष्ट्र की कहानी है जो अब केवल चंद्रमा और मंगल की ओर नहीं, बल्कि सितारों तक पहुंचने का सपना भी देख रहा है—और उसे पूरा कर रहा है।
नोट: यह मिशन 10 जून 2025 को दोपहर बाद लाइव देखा जा सकता है। आप ISRO और Axiom Space के यूट्यूब चैनल पर इसका सीधा प्रसारण देख सकते हैं।
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