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Tuesday, September 16, 2025
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एनडीए vs विपक्ष: वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर कल होगी जंग

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सरकार लोकसभा में पेश करेगी वक्फ संशोधन विधेयक

रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार बुधवार, 2 अप्रैल को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश करेगी। केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि प्रश्नकाल के बाद विधेयक पर चर्चा और मतदान के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। रिजिजू ने कहा कि सरकार ने 8 घंटे की चर्चा के लिए सहमति जताई है, हालांकि आवश्यकता पड़ने पर इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है।

विधेयक पर चर्चा: सरकार vs विपक्ष

रिजिजू ने कहा, “हर दल को अपनी राय रखने का अधिकार है। देश जानना चाहता है कि कौन सा दल इस संशोधन के पक्ष या विपक्ष में है। यह रिकॉर्ड सदियों तक दर्ज रहेगा।” उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह “बहानेबाजी” कर चर्चा से बचना चाहता है। सोमवार को भाजपा प्रवक्ताओं के साथ हुई बैठक में रिजिजू ने जोर देकर कहा कि यह विधेयक वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और दक्षता लाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। उनके मुताबिक, इससे मुस्लिम समुदाय को लाभ मिलेगा और धार्मिक संस्थानों की स्वायत्तता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का विरोध

विधेयक को लेकर विपक्षी दलों और कई मुस्लिम संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इसे “असंवैधानिक” बताते हुए आरोप लगाया कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है। ओवैसी ने एनडीए के सहयोगी दलों — जेडी(यू), टीडीपी, आरएलजेपी और आरएसपी — से पूछा कि वे “मुसलमानों के अधिकार छीनने वाले” इस विधेयक का समर्थन क्यों कर रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण करना चाहती है।

पृष्ठभूमि: क्या है विधेयक का सफर?

यह विधेयक पहली बार अगस्त 2023 में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन विवादों के चलते इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया गया। समिति ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद कैबिनेट ने संशोधित प्रस्तावों को मंजूरी दी। सरकार के अनुसार, वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में आने वाली अस्पष्टताओं, भ्रष्टाचार और अक्षमता को दूर करना है। इसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए रिकॉर्ड प्रबंधन और पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने जैसे प्रावधान शामिल हैं।

लोकसभा में नंबर गेम

लोकसभा में सांसदों की मौजूद संख्या 542 है, अगर बीजेपी की बात करें तो इसके पास सबसे ज्यादा नंबर 240 का है। वहीं अगर सहयोगी दलों को भी जोड़ लिया जाए तो इंडिया सांसदों की संख्या 294 है। लोकसभा में बिल को पास कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा 272 चाहिए। ऐसे में अगर बीजेपी को सहयोगी दलों का साथ मिलता है तो उसके लिए लोकसभा में इस बिल को पास कराने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। अगर विपक्षी दलों की बात करें तो कांग्रेस के पास सबसे अधिक 99 सांसद है। वहीं, इंडिया गठबंधन के कुल सांसदों की संख्या 233है। लोकसभा में कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन का हिस्सा नहीं है। इनमें आजाद समाज पार्टी के एडवोकेट चंद्रशेखर और शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल भी शामिल हैं।

राज्यसभा की स्थिति

राज्यसभा की स्थिति थोड़ी अलग है, ऊपरी सदन में मौजूदा समय में सदस्यों की संख्या 236 है। यहां भी बीजेपी का नंबर सबसे अधिक है। बीजेपी के पास कुल 98 सदस्य हैं, वहीं एनडीए के कुल सदस्यों की संख्या 115 है। अगर इसमें 6 मनोनीत सदस्यों को भी शामिल कर दे तो यह आंकड़ा 121 तक पहुंचता है। राज्यसभा में इस बिल को पास करने के लिए 119 सदस्यों की जरूरत होगी। ऐसे में उसके बाद बहुमत से दो सदस्य अधिक है। वहीं, विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास 27 सदस्य हैं। वहीं, इंडिया गठबंधन के कुल सदस्यों की संख्या 85 है। इसमें वाईएसआर कांग्रेस के 9, बीजेडी के 7 और एआईएडीएमके के चार सदस्य शामिल है। वहीं, राज्यसभा में तीन ऐसे भी सदस्य हैं वो ना ही एनडीए गठबंधन और ना ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।

नोट : अब नजर लोकसभा में होने वाली बहस पर टिकी है, जहां सरकार और विपक्ष के बीच तीखी टकराव की संभावना है।

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