अच्छी खबर : झारखंड की जानीमानी तीरंदाज पूर्णिमा महतो और सोशल वर्कर चामी मुर्मू को मिलेगा पद्मश्री अवार्ड
रांची! झारखंड के लिए बहुत ही खुशखबरी वाली खबर है. झारखंड की दो महिलाओं को पदम श्री अवार्ड दिया जाएगा. सरायकेला खरसावां की सामाजिक कार्यकर्ता चामी मुर्मू और जमशेदपुर की जानीमानी तीरंदाज और आर्चरी इंडिया कोच पूर्णिमा महतो को आर्चरी खेल क्षेत्र में उनके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड प्रदान किया जाएगा. गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पद्म पुरस्कारों का एलान कर दिया गया. इसके तहत पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री से सम्मानित किए जाने वाली हस्तियों के नामों का एलान किया गया. इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कूर्परी ठाकुर को भारत रत्न से नवाजने का एलान किया था. असम की रहने वाली देश की पहली महिला महावत पार्वती बरुआ और जागेश्वर यादव समेत 34 हस्तियों को अवॉर्ड दिया गया है. इसके अलावा लिस्ट में झारखंड की पूर्णिमा महतो व चामी मुर्मू समेत कई बड़े नाम शामिल हैं. झारखंड की पद्म श्री पाने वाली चामी मुर्मू पिछले 28 सालों में 30,000 महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं। चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान दिया था.
नक्सली गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाई
झारखंड की सरायकेला निवासी चामी मुर्मू को सामाजिक कार्य (पर्यावरण–वनरोपण) में पद्मश्री सम्मानित किया गया है। जनजातीय पर्यावरणविद् एवं महिला सशक्तिकरण सरायकेला-खरसावां से चैंपियन, उन्होंने 30 लाख से अधिक वृक्षारोपण के प्रयासों को गति दी और 3,000 महिलाओं के साथ पौधे लगाए। 40 से ज्यादा गांवों की 30,000 महिलाओं को सशक्त बनाकर अनेक स्वयं सहायता समूह के गठन के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की शुरुआत की और महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए। अपने एनजीओ ‘सहयोगी महिला’ के माध्यम से प्रभावशाली पहल की शुरुआत की। सुरक्षित मातृत्व, एनीमिया और कुपोषण उन्मूलव कार्यक्रम और किशोरियों की शिक्षा पर जोर दिए जाने के लिए जागरूक किया। अवैध कटाई, लकड़ी माफिया और नक्सली गतिविधियों के खिलाफ उनका अथक अभियान एवं वन्य जीवों व वनों की सुरक्षा के प्रति समर्पण ने वन और वन्य जीवों के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाली ताकत बना दिया है।
पूर्णिमा ने राष्ट्रमंडल खेलों में जीता था पदक
पूर्णिमा महतो भारतीय तीरंदाज कोच हैं. उन्होंने 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में एक रजत पदक और भारतीय राष्ट्रीय तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती. वह 2008 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारतीय राष्ट्रीय टीम के लिए कोच थीं और 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भी टीम की कोच चुनी गईं थी. वह प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार (Dronacharya Award) से सम्मानित होने वाली झारखंड की पहली महिला हैं. उन्हें 29 अगस्त 2013 को भारत के राष्ट्रपति (President of India) द्वारा द्रोणाचार्य पुरस्कार (Dronacharya award) से सम्मानित किया गया था. एक तीरंदाज के रूप में, महतो ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में पदक अर्जित किए. वह एक भारतीय राष्ट्रीय चैंपियन भी थीं.
अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी में टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक
1993 की अंतर्राष्ट्रीय तीरंदाजी चैम्पियनशिप में टीम स्पर्धा में स्वर्ण पदक अर्जित किया था. 1994 के पुणे राष्ट्रीय खेलों में छह स्वर्ण पदक, 1994 के एशियाई खेलों में भाग लिया लेकिन पदक नहीं जीता. 1997 में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में, उन्होंने दो स्वर्ण पदक अर्जित किए और दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाए. उन्होंने 1998 के राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक अर्जित किया।
दीपिका कुमारी को कोचिंग दी
महतो एक भारतीय तीरंदाजी कोच भी हैं, उन्होंने जिन तीरंदाजों को व्यक्तिगत रूप से कोचिंग दी है उनमें 2012 की ग्रीष्मकालीन ओलंपियन दीपिका कुमारी शामिल हैं. महतो ने कई आयोजनों में भारतीय राष्ट्रीय टीमों को कोचिंग दी है, जिसमें स्पेन में 2005 की सीनियर वर्ल्ड आउटडोर तीरंदाजी चैंपियनशिप भी शामिल है, जहां उनकी टीम ने रजत पदक अर्जित किया था. उन्होंने चीन में 2007 की सीनियर एशियाई तीरंदाजी चैंपियनशिप में भारतीय टीम को कोचिंग दी, जहां उन्होंने जिस पुरुष टीम को कोचिंग दी, वह पहले स्थान पर रही और जिस महिला टीम को उन्होंने कोचिंग दी, वह तीसरे स्थान पर रही. वह 2008 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत के लिए सहायक कोच थीं. उन्होंने क्रोएशिया में 2008 विश्व कप में भारतीय टीम को भी कोचिंग दी, जहां उनके तीरंदाजों ने रजत पदक और कांस्य पदक अर्जित किया.