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Friday, August 1, 2025
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आज से बिजली मंहगी : 40 पैसे प्रति यूनिट महंगी हुई ग्रामीणों की व शहरी उपभोक्ताओं पर 20 पैसे का अतिरिक्त बोझ

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रांची। झारखंड के लोगों को अगले वित्तीय वर्ष (2025-26) से बिजली के बिल में बड़ी वृद्धि का सामना करना पड़ेगा। झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (JSERC) ने 30 अप्रैल को घोषणा की कि 1 मई 2025 से राज्य में बिजली दरों में संशोधन लागू होगा। इसके तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के लिए दरें अलग-अलग बढ़ाई गई हैं। शहरी उपभोक्ताओं के लिए बिजली टैरिफ 20 पैसे प्रति यूनिट बढ़ गई है। ग्रामीण उपभोक्ता की दर में 40 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि की गई है। ग्रामीणों को जहां प्रति यूनिट 6.70 रुपए देंगे, वहीं शहरी उपभोक्ताओं को 6.85 रुपए देने होंगे। कृषि उपभोक्ताओं के लिए नई टैरिफ में कोई वृद्धि नहीं की गई है। किसी भी उपभोक्ता से मीटर रेंट नहीं लिया जाएगा।

घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा झटका

  • ग्रामीण क्षेत्र: प्रति यूनिट दर 6.30 रुपए से बढ़ाकर 6.70 रुपए कर दी गई है। यानी प्रति यूनिट 40 पैसे की वृद्धि।
  • शहरी क्षेत्र: दर 6.60 रुपए से बढ़कर 6.85 रुपए प्रति यूनिट होगी, जो 20 पैसे की बढ़ोतरी है।

वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं पर असर

  • ग्रामीण वाणिज्यिक: दर 6.10 रुपए से बढ़कर 6.20 रुपए प्रति यूनिट (10 पैसे की वृद्धि)।
  • शहरी औद्योगिक: दर 6.65 रुपए से बढ़ाकर 6.70 रुपए प्रति यूनिट (5 पैसे की वृद्धि)।
  • एचटी (हाई टेंशन) उपभोक्ता: दर 6.25 रुपए से बढ़कर 6.40 रुपए प्रति यूनिट (15 पैसे अधिक)।

आयोग ने कंपनी के प्रस्ताव को किया कम

झारखंड बिजली वितरण निगम (JBVNL) ने आयोग के समक्ष प्रति यूनिट 2 रुपए तक की बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था। उदाहरण के तौर पर, शहरी घरेलू दर 8.65 रुपए प्रति यूनिट करने का सुझाव था, लेकिन आयोग ने इसे घटाकर 6.80 रुपए ही मंजूर किया। इसी तरह, फिक्स्ड चार्ज को 100 से 200 रुपए प्रतिमाह करने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया गया।

क्यों बढ़ाई गई दरें

आयोग ने यह निर्णय जनसुनवाई और JBVNL के वित्तीय आकलन के बाद लिया। कंपनी का दावा था कि बिजली उत्पादन, वितरण और ऋण भार की लागत बढ़ने से दरों में समायोजन जरूरी है। हालांकि, आयोग ने उपभोक्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित दरों में कटौती की। इस बढ़ोतरी से राज्य के 1.6 करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के मासिक बजट पर दबाव बढ़ने की आशंका है, खासकर ग्रामीण परिवारों को जहां आय स्रोत सीमित हैं।

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