

Jharkhand High Court : झारखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता आलमगीर आलम को झारखंड हाई कोर्ट से 11 जुलाई 2025 को बड़ा झटका लगा, जब उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई। यह मामला टेंडर आवंटन से जुड़े कथित कमीशन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। आलम को 15 मई 2024 को ईडी ने गिरफ्तार किया था, और तब से वह जेल में हैं। आलमगीर आलम पर आरोप है कि उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान टेंडर आवंटन में कमीशन के जरिए अवैध धन अर्जित किया। ईडी की जांच के अनुसार, टेंडर आवंटन में 1.5% कमीशन लिया जाता था, जिसमें आलम का हिस्सा शामिल था। इस मामले में सबसे सनसनीखेज खुलासा तब हुआ, जब ईडी ने 6-7 मई 2024 को आलम के निजी सचिव संजीव कुमार लाल के घरेलू सहायक के आवास से लगभग 32 करोड़ रुपये नकद बरामद किए। ईडी का दावा है कि यह राशि टेंडर घोटाले से जुड़ी थी और आलम ने अपने सहयोगियों के माध्यम से इस धन को शुद्ध करने (मनी लॉन्ड्रिंग) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कोर्ट की सुनवाई और फैसला
इससे पहले, रांची की विशेष पीएमएलए अदालत ने 9 अगस्त 2024 को आलम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि आलम एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जो सबूतों को नष्ट कर सकते हैं या गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही, मनी लॉन्ड्रिंग को राष्ट्रीय हित के लिए खतरा मानते हुए कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराधों में “जेल नियम है, जमानत अपवाद।
हाई कोर्ट में सुनवाई
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आलम ने झारखंड हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। 20 जून 2025 को जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने दोनों पक्षों (आलम और ईडी) की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 26 जून 2025 को बहस पूरी होने के बाद, हाई कोर्ट ने 11 जुलाई 2025 को जमानत याचिका खारिज कर दी
ईडी के तर्क
ईडी ने कोर्ट में दलील दी कि आलम के खिलाफ ठोस सबूत हैं, जिनमें चार्जशीट और बरामद नकदी शामिल है। एजेंसी ने यह भी कहा कि आलम एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जो स्वतंत्र होने पर जांच को प्रभावित कर सकते हैं। ईडी ने इस मामले में कई अन्य आरोपियों, जैसे निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम और संजीव लाल, को भी गिरफ्तार किया गया था।
आलम का पक्ष
आलम ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह निर्दोष हैं और उन्हें संदेह के आधार पर फंसाया गया है। उनके वकीलों ने 1500 पन्नों की लिखित दलीलें प्रस्तुत कीं, लेकिन कोर्ट ने उनके तर्कों को स्वीकार नहीं किया।
मामले की जांच 2023 को शुरू
ईडी ने इस मामले की जांच 21 फरवरी 2023 को शुरू की थी, जब निलंबित चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। मई 2024 में संजीव लाल और जहांगीर आलम के ठिकानों पर छापेमारी के बाद जांच का दायरा आलम तक पहुंचा। ईडी का दावा है कि टेंडर घोटाले में कुल मिलाकर 4.42 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है।
सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प
जमानत याचिका खारिज होने के बाद आलम को जेल में ही रहना होगा। हाई कोर्ट के इस फैसले से उनकी कानूनी लड़ाई और जटिल हो गई है। हालांकि, उनके पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प अभी बाकी है। यह मामला झारखंड में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ईडी की सख्त कार्रवाई का हिस्सा है। आलमगीर आलम जैसे प्रभावशाली राजनेता के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई से राज्य में राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मची हुई है।