
रांची। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर (निविदा) के आवंटन में कमीशनखोरी और उस काले धन को सफेद करने के एक बड़े मामले में चौथी अतिरिक्त चार्जशीट दायर की है। इसमें 8 नए लोगों को आरोपी बनाया गया है। इन नए आरोपियों में ठेकेदार, सरकारी अधिकारियों के सहायक और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं। अब इस मामले में कुल आरोपियों की संख्या 22 हो गई है।
किसने क्या किया
- ठेकेदार राजेश कुमार: उसने स्वीकार किया है कि उसने 1.88 करोड़ रुपये की रिश्वत दी और दो महंगी गाड़ियां (टोयोटा इनोवा और फॉर्च्यूनर) भी दीं। ये गाड़ियां मुख्य आरोपी वीरेंद्र कुमार राम के पास से जब्त की गई थीं।
- ठेकेदार राधा मोहन साहू: उसने भी 39 लाख रुपये की रिश्वत और एक टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी देने की बात स्वीकारी। यह गाड़ी उसके बेटे के नाम से थी और यह भी वीरेंद्र कुमार राम के पास से बरामद हुई।
- अन्य आरोपी
- वीरेंद्र कुमार राम के एक सहायक, अतिकुल रहमान के घर से 4.40 लाख रुपये नकद जब्त किए गए।
- एक दलाल (बिचौलिया) राजीव कुमार सिंह के घर से 2.13 करोड़ रुपये का भारी मात्रा में नकद मिला। उसने करीब 15 करोड़ रुपये की कमीशन राशि इकट्ठा करने और रखने की बात कबूली।
- आरोपी संजीव कुमार लाल (जो उस समय के मंत्री के निजी सचिव थे) की पत्नी रीता लाल पर आरोप है कि उन्होंने इस काले धन से संपत्ति खरीदी और उसे कानूनी आय बताने की कोशिश की।
जांच कैसे शुरू हुई
यह मामला नवंबर 2019 में तब सामने आया जब ग्रामीण विकास विभाग के एक जूनियर इंजीनियर सुरेश प्रसाद वर्मा को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। इसके बाद छापेमारी में विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम से जुड़े ठिकानों से 2.67 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। ED ने पूरी जांच के बाद पाया कि विभाग के भीतर एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार का नेटवर्क काम कर रहा था।
बड़े नाम भी आए सामने
जांच में यह भी पता चला कि ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री आलमगीर आलम भी इस सिंडिकेट का हिस्सा थे और वह हर टेंडर पर एक तय कमीशन लेते थे। यह कमीशन उनके निजी सचिव संजीव कुमार लाल और उनके सहयोगी वसूलते थे। इस नेटवर्क के छापे में अब तक 37 करोड़ रुपये से ज्यादा की नकदी जब्त की जा चुकी है। इस काले धन को दिल्ली के कुछ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और हवाला ऑपरेटरों के जरिए सफेद किया जाता था और महंगी संपत्तियां खरीदी जाती थीं।
ED की कार्रवाई
ED ने अब तक इस मामले में 44 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पहचान की है और उन्हें अपने कब्जे में ले लिया है। ED ने अदालत से सभी आरोपियों पर मुकदमा चलाने और काले धन से बनी सभी संपत्तियों को जब्त करने का अनुरोध किया है। मामले की आगे की जांच अभी जारी है।





