

रांची। विश्व क्रिकेट के महानतम फील्डरों में शामिल पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने रविवार देर रात रांची पहुंचे। वह रांची चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। शहर में आते ही उन्होंने स्थानीय लोगों के उत्साह और गर्मजोशी की जमकर सराहना की। रोड्स ने कहा, रांची की ऊर्जा और यहां के लोगों का प्यार वाकई अद्भुत है। मैंने भारत के कई शहर देखे हैं, लेकिन यहां का माहौल सबसे अलग और आत्मीय लगा। यहां के बच्चों में क्रिकेट के प्रति दीवानगी भारतीय क्रिकेट के भविष्य को उज्ज्वल बना रही है। मैं यह देखकर हैरान हूं कि आज की पीढ़ी भी मेरे पुराने मैच देखकर मुझे पहचानती है। यह साबित करता है कि क्रिकेट भारत में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि एक जुनून है। बता दें कि रांची के जिमखाना क्लब में आयोजित 4 से 9 नवंबर तक रांची चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में कल्चरल एंड नॉलेज डेवलपमेंट और अग्रवाल युवा सभा के बीच मुकाबला हुआ। कल्चरल एंड नॉलेज डेवलपमेंट की टीम ने जीत दर्ज की और विजेताओं को जोंटी रोड्स ने ही पुरस्कार दिए।
धौनी हमेशा से मेरी प्रेरणा रहे हैं
महेंद्र सिंह धौनी के बारे में बात करते हुए जोंटी ने कहा, धौनी हमेशा से मेरी प्रेरणा रहे हैं। उनकी फिटनेस, शांत स्वभाव और मैदान पर अडिग रहने की क्षमता उन्हें खास बनाती है। जब टी-20 क्रिकेट में दूसरे कप्तान दबाव में आ जाते हैं, धौनी तब भी शांत और स्थिर दिखते हैं। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने यह भी बताया कि भले ही उन्होंने धौनी के साथ सीधे काम नहीं किया, लेकिन कोचिंग के दौरान धौनी के खिलाफ रणनीति बनाना हमेशा एक चुनौती रही।
मेरा जोश कम नहीं हुआ
56 वर्षीय रोड्स ने अपने जुनून का जिक्र करते हुए कहा, उम्र बढ़ने के बावजूद मेरा जोश कम नहीं हुआ। मेरी पत्नी अब भी मुझे मैदान में डाइव लगाते देख घबरा जाती हैं, लेकिन यह मेरी आदत है। अगर मैं 60 का भी हो जाऊं और गेंद मेरे पास आए, तो मैं उसे रोकने के लिए जमीन पर जरूर गिरूंगा। युवा क्रिकेटरों को सलाह देते हुए उन्होंने कहा, सिर्फ मेहनत करना काफी नहीं है; सही अभ्यास जरूरी है। आज क्रिकेट शारीरिक रूप से बहुत मांग वाला खेल बन गया है। कई युवा खुद को अजेय समझते हैं, लेकिन फिटनेस और रिकवरी के बीच संतुलन बनाना ही आपके करियर को लंबा चला सकता है।
भारत मेरा दूसरा घर है
भारत के प्रति अपने लगाव को साझा करते हुए जोंटी ने कहा, भारत मेरा दूसरा घर है। मैं हर साल लगभग पांच महीने यहां बिताता हूं। इस बार मैं बंगलुरु से रांची आया हूं और अब चंडीगढ़ जाऊंगा। मेरी मोटरबाइक गोवा में है और मुझे लोगों से आमने-सामने मिलना पसंद है, क्योंकि हर मुलाकात से कुछ नया सीखने को मिलता है।





