5 भाषाओं के हक में राजद प्रतिनिधिमंडल की राजभवन में पैरवी | झारखंड की नियोजन नीति में भोजपुरी-मगही को शामिल करने की मांग


RJD: राजद के महासचिव एवं अखिल भारतीय भोजपुरी-मगही-मैथिली-अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाकात कर भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को राज्य की नियोजन नीति में “क्षेत्रीय भाषा” के रूप में शामिल करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को बताया कि झारखंड पूर्ववर्ती बिहार से अलग होकर बना एक ऐसा राज्य है, जहां सभी जाति, धर्म एवं भाषा के लोग मिलकर विकास में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि 29 अगस्त 2018 के अधिसूचना के तहत उर्दू, संथाली, बंगला आदि 17 भाषाओं को राज्य की द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया था। लेकिन 10 मार्च 2023 को जारी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा संचालन नियमावली-2023 में इनमें से केवल 12 भाषाओं को ही क्षेत्रीय भाषा मान्यता दी गई, जबकि भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज को बाहर रखा गया।
जिलावार क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से वंचित रखा गया
यादव ने जोर देकर कहा कि राज्य के प्रमुख शहरों जैसे रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, देवघर, गिरिडीह, कोडरमा और चतरा के साथ-साथ पलामू व संथाल परगना प्रमंडलों में करोड़ों लोग इन भाषाओं का उपयोग करते हैं। इन भाषाओं का साहित्य भी एक अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। उन्होंने आगे बताया कि 18 फरवरी 2022 के अधिसूचना क्रमांक 453 में भी इन पांच भाषाओं को जिलावार क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से वंचित रखा गया। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सिफारिश करें कि सभी 17 द्वितीय राजभाषाओं को समान सम्मान देते हुए इन पांच भाषाओं को भी नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा का न्यायसंगत दर्जा दिया जाए।
राज्यपाल ने दिया सकारात्मक जवाब
राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मांग को “गंभीरता से लेते हुए” आश्वासन दिया कि वे इस विषय पर राज्य सरकार को पत्र लिखकर अवगत कराएंगे। साथ ही उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सीधे चर्चा करने का भी सुझाव दिया। प्रतिनिधिमंडल में कैलाश यादव के अतिरिक्त अमरनाथ झा, सुधीर गोप, सुरेंद्र मिश्रा, राधेश्याम यादव और सुनील पांडेय शामिल थे।