औरंगजेब कब्र विवाद : नागपुर में औरंगजेब का पुतला फूंकने के बाद भड़की हिंसा | शहर में निषेधाज्ञा लागू


रांची। नागपुर में मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर सोमवार को हिंसक झड़पें हुईं। औरंगजेब कब्र विवाद में महाराष्ट्र के नागपुर के महल इलाके में सोमवार रात 8:30 बजे दो पक्षों में हिंसा हो गई। विश्व हिंदू परिषद ने औरंगजेब का पुतला फूंका था, इसके बाद हिंसा भड़की। मिली जानकारी के अनुसार अफवाह फैली कि प्रदर्शनकारियों ने पुतले के साथ एक धार्मिक पुस्तक जलाई है। इससे दो पक्षों में पथराव हुआ। कई गाड़ियों में तोड़फोड़ हुई। दो जेसीबी में आग लगाई गई। पुलिस ने बवाल कर रहे लोगों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस ने लोगों से प्रशासन का पूरा सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हम लगातार पुलिस-प्रशासन के संपर्क में हैं। नागपुर एक शांतिपूर्ण शहर है। किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें। कई पुलिसकर्मी समेत 4-5 आम नागरिक घायल हुए, जबकि 20 से अधिक वाहन जलाए गए। पुलिस ने 20 आरोपियों को हिरासत में लिया और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। शहर में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
हिंदू संगठनों का प्रदर्शन और मांग
इस हिंसा से पहले, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) जैसे संगठनों ने संभाजीनगर (औरंगाबाद) स्थित औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार कब्र नहीं हटाती, तो वे स्वयं इसे उखाड़ देंगे। इसके बाद कब्र स्थल की सुरक्षा बढ़ा दी गई।
आरटीआई खुलासे ने बढ़ाया विवाद
हिंदू जनजागृति समिति द्वारा दायर एक आरटीआई के अनुसार, 2011 से 2023 तक औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर 6.5 लाख रुपये खर्च किए गए, जबकि संभाजीनगर के राज राजेश्वर मंदिर को मात्र 6,000 रुपये वार्षिक मिलते हैं। इस असमानता ने विवाद को और हवा दी।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
औरंगजेब (1658-1707) को हिंदू मंदिरों के विध्वंस और जज़िया कर लागू करने के लिए याद किया जाता है, जबकि उसके सती प्रथा एवं शराबबंदी जैसे फैसलों का भी उल्लेख होता है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल उठाया: “300 साल पुराने इतिहास को आज विवाद क्यों बनाया जा रहा है? यह मुद्दा किसके हित में है?” उन्होंने सरकार पर “विवाद की राजनीति” करने का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री और पुलिस का रुख
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा, अशांति फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। नागपुर पुलिस ने फ्लैग मार्च करके शांति बनाए रखने की अपील की और रातभर कॉम्बिंग ऑपरेशन जारी रखा।
विपक्ष का आरोप
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने सरकार पर “भड़काऊ बयानबाजी” का आरोप लगाते हुए कहा, नागपुर भाईचारे का प्रतीक रहा है। यहां हिंसा प्रशासनिक विफलता है।
नोट: औरंगजेब के शासनकाल को लेकर ऐतिहासिक दृष्टिकोण विवादास्पद रहा है। जहां एक ओर उसे धार्मिक कट्टरता के लिए आलोचना झेलनी पड़ती है, वहीं कुछ इतिहासकार उसकी प्रशासनिक दक्षता को भी रेखांकित करते हैं। वर्तमान विवाद सांस्कृतिक पहचान और ऐतिहासिक विरासत के पुनर्मूल्यांकन की बड़ी बहस का हिस्सा है।