मसौदा केवल हिंदी में अनुमोदन के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाएगा
रांची। झारखंड विधानसभा सदन में पेश और पारित किए जाने वाले विधेयकों का प्रारूप केवल हिंदी में तैयार किया जाएगा। विधेयक का मसौदा केवल हिंदी में अनुमोदन के लिए झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को भेजा जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो का कहना है कि अगर राजभवन या राज्य सरकार को जरूरत महसूस होती है तो वे हिंदी में पारित विधेयकों का अंग्रेजी में अनुवाद करा सकते हैं। केवल हिंदी से अंग्रेजी अनुवाद में त्रुटि के कारण राजभवन से लौटाए गए विधेयकों को दोबारा पारित कराने की प्रक्रिया में राज्य विधानसभा को काफी समय खर्च करना पड़ता है। 2021 में झारखंड सरकार ने एंटी मॉब लिंचिंग एक्ट बिल सदन में पास किया था जिसमें मॉब लिंचिंग के दोषियों को उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया था। इस बिल के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में अंतर होने के कारण इस बिल को राज्यपाल ने लौटा दिया था। ढाई साल बाद भी ये बिल दोबारा पास नहीं हो सका। अब इसे 28 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के मानसून सत्र में फिर से पेश करने की तैयारी है। इसी तरह, पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक को हिंदी और अंग्रेजी प्रारूप में अंतर के कारण राज्यपाल ने लौटा दिया था, जिसके बाद झारखंड सरकार को इसे फिर से पारित करना पड़ा। इसके अलावा, झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 और झारखंड कराधान अधिनियम के बकाए का निपटान विधेयक भी इसी कारण से वापस कर दिया गया। इस महीने की शुरुआत में राजभवन ने निजी विश्वविद्यालय की स्थापना से संबंधित विधेयक को लौटाते हुए इसके हिंदी और अंग्रेजी मसौदे में अंतर पर सवाल उठाया था।