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Friday, July 11, 2025
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गृह मंत्री अमित शाह के सामने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने कहा- रांची में मेट्रो रेल जरूरी

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रांची में आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने बहुत ही मजबूती के साथ झारखंड के हित में महत्वपूर्ण मांगें रखीं।

जोहार….

Hemant Soren : सर्वप्रथम पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में उपस्थित सभी अतिथियों का मैं झारखंड राज्य की ओर से हार्दिक अभिनन्दन और स्वागत करता हूं। साथ ही भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू की वीर भूमि पर आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक के लिए मैं माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के प्रति आभार प्रकट करता हूं। भारत के संघीय ढांचे में केंद्र तथा राज्यों के बीच लंबित कई ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों के सौहार्द्रपूर्ण समाधान में परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

झारखंड राज्य के कई मुद्दे, चाहे वे केंद्र सरकार के साथ हों या पड़ोसी राज्यों के साथ, इनका समाधान पूर्व में भी इसी मंच से हुआ है तथा कई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सका है। मुझे आशा है कि कई अनसुलझे मुद्दों का समाधान आज की इस बैठक से निकलेगा और “सहकारी संघवाद” की भावना के अनुरूप और बेहतर समन्वय के साथ हम विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होंगे।

पूर्वी क्षेत्रीय परिषद के सभी राज्यों की संस्कृति एवं विरासत एक जैसी है। इतिहास के पन्नों को जब हम पलटते हैं तो पाते हैं कि बंगाल, बिहार, ओडिशा व झारखंड कभी एक ही प्रदेश का हिस्सा थे। हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत होने के कारण हमारे सामाजिक-आर्थिक मुद्दे और समस्यायें भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। हमारे सामूहिक हितों को बढ़ावा देने एवं समस्याओं के समाधान हेतु पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् एक बेहतर मंच है। आवश्यकता इस बात की है कि हम सभी सदस्यगण आपसी समन्वय के साथ विकास की योजनायें बनायें और अपनी समस्याओं के निराकरण में एक-दूसरे का सहयोग करें।

झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, आदिवासी परम्पराओं और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित रखते हुए राज्य में पर्यटन को विकसित करने की दिशा में लगातार कार्य किया जा रहा है। राज्य में जहां एक ओर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था के संतुलित, समावेशी एवं तीव्र विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कृषि एवं सामाजिक वानिकी जैसे क्षेत्रों को प्रोत्साहित कर अर्थव्यवस्था में विविधता लाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य में कृषि आधारित उद्योगों के विकास के माध्यम से भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया जा रहा है। समाज के सबसे कमजोर वर्ग तथा अभिवंचित समूह के लोगों की बुनियादी सुविधाओं में सुधार लाना हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।

प्राकृतिक संसाधनों एवं खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड राज्य प्रारम्भ से ही औद्योगिक एवं Mining Hub रहा है। यहां की खनिज संपदाओं ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, परन्तु इसकी कीमत भी झारखंड राज्य के निवासियों को चुकानी पड़ी है। खनन क्षेत्र में रहने वाले लोग, जो ज्यादातर आदिवासी एवं पिछड़े वर्गों से आते हैं, उनके स्वास्थ्य एवं जीवनशैली पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। मैं, भारत सरकार से DMFT नीति में संशोधन की मांग करता हूं, जिससे कि खनन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इसका उचित लाभ मिल सके। साथ ही केन्द्र सरकार के PSUs में होने वाली नियुक्तियों में इनको प्राथमिकता दी जाय।

राज्य में महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण के स्तर में सतत् सुधार, महिला सशक्तिकरण एवं उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाने तथा परिवार में उनकी निर्णायक भूमिका सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री मईयां सम्मान योजना प्रारम्भ किया गया है, जिसके अन्तर्गत 18 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु की पात्र महिलाओं को हर महीने 2500 रूपये की प्रावधानित राशि दी जा रही है। इससे उन्हें अपने दैनिक खर्चों जैसे भोजन, कपड़े और अन्य जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति में मदद मिल सकेगी। इस नियमित वित्तीय सहायता का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपनी उद्यमशीलता का अधिकाधिक विकास कर सकें।

झारखंड अपने प्राकृतिक संसाधन, खनिज संपदा और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। हमारी सरकार द्वारा राज्य में उपलब्ध संसाधनों का जिम्मेदारीपूर्वक एवं बेहतर इस्तेमाल कर राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देते हुए अधिकाधिक रोजगार सृजन का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही कई ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए केन्द्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा है। आज की इस बैठक में, मैं इन बिन्दुओं को भी रेखांकित करना चाहूंगा।

प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर को कम करने तथा छात्रों को शिक्षा के पोस्ट मैट्रिक चरण में प्रगति करने हेतु बेहतर अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से झारखंड सरकार द्वारा सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के वंचित वर्ग (एससी, एसटी और ओबीसी) के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजना संचालित की जा रही है। इस तर्ज पर भारत सरकार द्वारा नई छात्रवृत्ति योजना का संचालन अथवा राज्य सरकार की इस योजना हेतु वित्तीय अनुदान की व्यवस्था की जाय ताकि राज्य के साक्षरता दर में अभिवृद्धि के साथ-साथ वंचित वर्ग के बच्चों को औपचारिक शिक्षा हेतु प्रेरित किया जा सके।

जनजातीय आबादी के लिए उच्च शिक्षा और तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने, आदिवासी केंद्रित विविध विषयों पर शिक्षण और शोध कार्य की सुविधा प्रदान करने, उनके सांस्कृतिक अध्ययन और प्रशिक्षण के लिए राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों या संगठनों के साथ सहयोग करने के उद्देश्य से झारखण्ड सरकार के तत्वावधान में एक जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना परिकल्पित है। इस हेतु भारत सरकार से आवश्यक आर्थिक सहयोग अपेक्षित है।

झारखंड के आदिवासी बाहुल्य संथाल परगना क्षेत्र के विकास को गति देने हेतु राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर स्थित साहेबगंज Multi Model Terminal (MMT) को राज्य की राजधानी रांची से जोड़ने हेतु रांची से साहेबगंज तक Access Controlled Expressway का निर्माण भी कराया जाय। इससे साहेबगंज स्थित Multi Model Terminal से उड़ीसा के पारादीप पोर्ट तक Port to Port connectivity सुगम होगा और पूर्ववर्ती राज्यों का छत्तीसगढ़ राज्य से सीधा सम्पर्क स्थापित हो सकेगा।

इसी तरह East West Corridor अंतर्गत झारखंड राज्य के गढ़वा जिले के मुरीसेमर से दुमका जिले को जोड़ा जाये जिससे ऊर्जाचल प्रक्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध सिंगरौली, विन्ध्याचल, रिहन्द, अन्नपाड़ा, ओबरा आदि कोल माईंस एरिया साहेबगंज जिला स्थित Multi Model Terminal से जुड़ जायेंगे।

झारखंड राज्य का पूर्वोत्तर राज्यों से बेहतर connectivity स्थापित करने हेतु राजमहल (साहेबगंज, झारखण्ड) से मानिकचक (मालदा, पश्चिम बंगाल) के बीच प्रस्तावित पुल के निर्माण को यथाशीघ्र प्रारम्भ कराने हेतु परिषद् द्वारा प्रयास किया जाये। इसके निमार्ण की लागत का 50 प्रतिशत व्यय का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा।

साहेबगंज में Air Cargo Hub विकसित करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा हवाई अड्डा निर्माण हेतु भूमि चिन्हित कर अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही है। इसका लाभ झारखण्ड राज्य के साथ-साथ सभी सीमावर्ती राज्यों को प्राप्त होगा। इस हेतु साहेबगंज में हवाई अड्डा निर्माण में होने वाले पूंजीगत लागत राशि का शत-प्रतिशत व्यय वहन भारत सरकार द्वारा किया जाये।

-देश में सबसे ज्यादा कमाई करने वाले चक्रधरपुर, धनबाद, रांची जैसे रेल मंडल झारखंड में हैं। बावजूद इसके, झारखंड में रेल नेटवर्क का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। आज भी राज्य के अनेक जिला मुख्यालयों में Rail connectivity उपलब्ध नहीं है। माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध है कि वे झारखंड के संबंध में संबंधित विभाग / संस्थान को निर्देश देने की कृपा करें।

भारत सरकार द्वारा नमामि गंगे योजना के तहत् गंगा एवं उसके सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों (ULBs) हेतु योजना स्वीकृत की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य गंगा एवं उसके बेसिन में अवस्थित नदियों को प्रदूषण मुक्त करना है। इस योजना के तहत गंगा की सहायक नदी दामोदर को स्वच्छ रखने हेतु राज्य के तीन शहरों यथा-धनबाद, फुसरो एवं रामगढ़ में सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट एवं Interception & Diversion (I&D) योजना का कार्यान्वयन कराया जा रहा है, किन्तु इसमें Sewerage Network का प्रावधान नहीं होने के कारण पूर्ण रूप से Liquid Waste Management नहीं हो पा रहा है। इसका प्रावधान भी नमामि गंगे योजना के तहत किये जाने पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही, मैं, माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि नदियों के किनारे बसे हुए झारखंड राज्य के अन्य शहरों यथा- रांची, जमशेदपुर, बोकारो (चास), देवघर, गिरिडीह दुमका एवं पलामू (मेदिनीनगर) को भी नमामि गंगे योजना के तहत स्वीकृति देने की कार्यवाही की जाय।

-राज्य की राजधानी होने के कारण रांची शहर की जनसंख्या में तेजी से शहरीकरण हुआ है। वर्तमान में रांची शहर एवं सीमावर्ती क्षेत्र की जनसंख्या 20 लाख से अधिक है। राजधानी रांची की बढ़ती यातायात जरूरतों को देखते हुए यातायात के अत्याधुनिक, तीव्र एवं प्रदूषणमुक्त विकल्प के रूप में मेट्रो रेल प्रणाली का विकास अति आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा संबंधित राज्य सरकार के सहयोग से भुवनेश्वर, गोरखपुर, कोझीकोड, वाराणसी इत्यादि शहरों में मेट्रो रेल योजना का कार्यान्वयन किया जा रहा है। मैं, माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि भारत सरकार द्वारा “रांची मेट्रो रेल परियोजना” की स्वीकृति उपरोक्त शहरों की भांति प्रदान की जाय, जिससे राज्य के आम नागरिकों की यातायात संबंधी समस्याओं का निदान करते हुए परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सके।

ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अन्तर्गत आवास के निर्माण में वित्तीय वर्ष 2016-17 से 1.20 लाख रुपये प्रति आवास की दर से भुगतान किया जा रहा है। विगत नौ वर्षों में आवास निर्माण सामग्री एवं मजदूरी के दरों में हुई वृद्धि के मद्देनजर इसे तत्काल बढ़ाकर 2 लाख रुपये प्रति आवास किया जाये।

वर्तमान में झारखंड सरकार द्वारा न्यूनतम दैनिक मजदूरी की दर 405/- रुपये निर्धारित है, परन्तु ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मनरेगा के अन्तर्गत प्रतिदिन 255/- रुपये मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। इससे लोगों में मनरेगा के प्रति कार्य करने में रूचि कम हो रही है। मेरा अनुरोध होगा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मनरेगा के तहत दैनिक मजदूरी को तत्काल राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दर के अनुरूप किया जाय एवं मजदूरी की राशि ससमय उपलब्ध करायी जाय।

उग्रवाद की समस्या से निपटना केवल राज्य सरकार के लिए ही नहीं, बल्कि केन्द्र सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। राज्य सरकार के पास जितने भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका उपयोग इस कार्य के लिए किया जा रहा है। केन्द्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति से केन्द्र सरकार से भी हमें पर्याप्त सहयोग मिल रहा है। परन्तु इस प्रतिनियुक्ति के एवज में राज्य सरकार द्वारा एक बड़ी राशि का भुगतान करना पड़ता है। अगर केन्द्र सरकार यह मानती है कि उग्रवाद को समाप्त करना केन्द्र तथा राज्य सरकार की संयुक्त जिम्मेवारी है, तो ऐसी परिस्थिति में केन्द्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार से राशि के भुगतान की मांग नहीं की जानी चाहिए। इस ओर माननीय गृहमंत्री जी का विशेष रूप से ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा।

National Family Health Survey के आंकड़ों से स्पष्ट है कि राज्य कुपोषण से संबंधित विभिन्न सूचकांकों में राज्य के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। राज्य में कुपोषण उन्मूलन के प्रयासों को सबल करने हेतु 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुसंशित 312 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि की शीघ्र विमुक्ति हेतु परिषद् का ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा।

वर्ष 2001 की जनसंख्या के आधार पर वर्ष 2008 में झारखण्ड में आंगनबाड़ी केन्द्रों का सृजन एवं स्थापना किया गया है। सम्प्रति राज्य की जनसंख्या बढ़कर 4.06 करोड़ से अधिक होना आकलित है, फलस्वरूप लाभार्थियों की संख्या में अतिशय वृद्धि हुई है। राज्य द्वारा 1683 अतिरिक्त आँगनबाड़ी केन्द्रों के सृजन तथा स्थापना का प्रस्ताव महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार को उपलब्ध कराया गया है। इस विषय पर भारत सरकार द्वारा शीघ्र सकारात्मक निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है।

भारत सरकार के राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के अन्तर्गत वृद्धावस्था पेंशन के तहत् 200/- रुपये तथा विधवा पेंशन एवं दिव्यांग पेंशन के तहत् 300/- रुपये प्रतिमाह केन्द्रीय अंशदान लाभुकों को प्रदाय है। इस अल्प राशि से लाभुकों की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं हो पाता है, इसलिए राज्य सरकार द्वारा अपने मद से Top-up कर इन पेंशन योजनाओं के तहत् लाभुकों को 1000/- रुपये प्रतिमाह पेंशन की राशि प्रदान की जा रही है। पेंशन योजनाओं की दरों में भारत सरकार द्वारा अंतिम वृद्धि वर्ष 2012 में की गई थी। पिछले 13 वर्षों में मुद्रास्फीति की दरों में हुई वृद्धि को देखते हुए केन्द्रीय अंशदान को बढ़ाकर न्यूनतम प्रतिमाह रु० 1000/- करने की मांग भारत सरकार से करता हूं।

झारखंड के केवल 10% उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन और पेटेंट हैं। अब तक सिर्फ कुल 353 पेटेंट फाइल किए गए हैं, जिससे झारखण्ड की स्थिति ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की तुलना में बहुत नीचे है। हमारा आग्रह होगा कि राज्य के उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए झारखण्ड विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद् के अंतर्गत एक अत्याधुनिक पेटेंट सूचना और सुविधा केंद्र की स्थापना के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान की जाये।

-झारखंड में चिकित्सकों की घोर कमी है और इस मामले में झारखण्ड राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है। चिकित्सकों की संख्या की कमी को दूर करने के लिए राज्य सरकार द्वारा 04 (चार) चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा सुपर स्पेशियलिटी RIMS-2 का निर्माण कराया जा रहा है जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है। राज्य सरकार इसमें केन्द्रीय सहायता की अपेक्षा रखती है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा PPP (Public Private Partnership) मोड के आधार पर 06 (छः) नए चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल की स्थापना का प्रस्ताव वित्तीय कार्य विभाग, भारत सरकार को भेजा गया है, जिस पर शीघ्र निर्णय लेने की मांग करता हूं।

झारखंड राज्य द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत् कुल 28 लाख परिवारों को 05 लाख रूपये का स्वास्थ्य बीमा Coverage का लाभ प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा ऐसे 38 लाख गरीब परिवार, जो आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित नहीं हैं, उन्हें “मुख्यमंत्री अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना” के तहत् 15 लाख रूपये तक के स्वास्थ्य बीमा का कवरेज दिया जा रहा है। उक्त योजनाओं के संचालन को सुचारू बनाने हेतु डेटा उपलब्ध कराने एवं ED द्वारा की जा रही जाँच के कारण अस्पतालों को किए जाने वाले भुगतान की समस्या के समाधान हेतु भारत सरकार से मार्गदर्शन की मांग की गई है, जिस पर भारत सरकार द्वारा यथाशीघ्र ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।

झारखंड की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक बनावट, कृषि पर निर्भरता, सिंचित भूमि का कम प्रतिशत एवं कृषि तथा कृषकों की पिछड़ी स्थिति के मद्देनजर झारखंड सरकार द्वारा कई मेगालिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं की परिकल्पना की गई है। राज्य का दुर्भाग्य कहें या नीति निर्माताओं की अनदेखी, आज आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी झारखंड में एक भी बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना पूर्ण नहीं हो सकी है। माननीय गृह मंत्री जी के माध्यम से मैं संबंधित विभाग से इन परियोजनाओं के वित्तीय एवं तकनीकी पोषण में साझेदार बनने की गुजारिश करना चाहूंगा।

-झारखंड राज्य में कोयला खनन का कार्य मुख्यतः Coal India Limited की इकाइयों यथा CCL, BCCL, ECL द्वारा किया जाता है। इन Coal Companies के पास राज्य सरकार का Non Payment of Land Compensation मद में एक लाख एक हजार करोड़ रुपये, Common Cause मद में चौंतीस हजार दो सौ तेरह करोड़ रुपये तथा Washed Coal Royalty मद में छः हजार दो सौ उन्नीस करोड़ रुपये बकाया है। मैं माननीय गृह मंत्री जी से अनुरोध करना चाहूंगा कि इस बकाये की राशि, जो कुल रुपये एक लाख चालीस हजार चार सौ तैंतीस करोड़ रुपये है, का भुगतान यथाशीघ्र करवाया जाये।

सीबीए एक्ट में संशोधन के माध्यम से कोल कंपनियों को कोयला खनन के पश्चात् भूमि को अन्य व्यावसायिक प्रयोजन के लिए किसी अन्य कंपनी को आवंटित करने का अधिकार दिये जाने का प्रयास पर भी राज्य सरकार की पूर्ण असहमति है। भारत के संविधान द्वारा भूमि संबंधी अधिकार राज्य सरकार को प्रदत्त है। अतएव खनन पश्चात् कोल कंपनियों द्वारा भूमि को पुनर्व्यवस्थित करते हुए राज्य सरकार को वापस किया जाना चाहिए। कोल कम्पनियों का यह दायित्व है कि बन्द खदानों का विधिवत् Mines Closure किया जाय। परन्तु उनके द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है जिसके कारण जान-माल को नुकसान हो रहा है तथा Illegal Mining को भी बढ़ावा मिल रहा है। अतः अनुरोध है कि जो खदाने बन्द हो गई हैं, उनका विधिवत् Mines Closure कराया जाय ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके एवं Illegal Mining पर भी रोक लग सके।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया Management Plan for Sustainable Mining (MPSM) के प्रभाव में आने से प० सिंहभूम जिला के सारण्डा वन प्रमण्डल अन्तर्गत भविष्य में होने वाले खनिज ब्लॉक की नीलामी के पश्चात् संचालन की अनुमति नहीं प्राप्त हो पायेगी। फलतः झारखण्ड राज्य संभावित राजस्व से वंचित रह जायेगा। अतः अनुरोध होगा कि झारखण्ड राज्य के हित को दृष्टिगत रखते हुए MPSM में व्याप्त त्रुटियों के निराकरण हेतु आवश्यक निर्णय लिया जाये।

झारखंड में सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व के कई ऐसे स्थल हैं, जिनका पुनरूद्धार एवं समुचित विकास कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा सकता है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा राज्यवार पर्यटन विकास की योजनाएं बनायी जा रहीं हैं, परन्तु पूर्वोत्तर के कई राज्यों के धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व के स्थल एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उदाहरणस्वरूप बौद्ध धर्म में विशेष महत्व रखने वाले कई स्थल बिहार में हैं और कई झारखण्ड में, जिन्हें जोड़कर बौद्ध परिपथ (Buddhist Circuit) को सुदृढ़ किया जा सकता है। इसी प्रकार, रामायण परिपथ (Ramayana Circuit) के अन्तर्गत सिमडेगा जिला स्थित रामरेखा धाम जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल को शामिल किया जा सकता है। मैं, भारत सरकार से अनुरोध करता हूँ कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के लिए एकीकृत पर्यटन नीति बनायी जाय, ताकि इस पूरे क्षेत्र में पर्यटन का अपेक्षित विकास हो सके।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बावजूद झारखण्ड राज्य में COMFED द्वारा जमशेदपुर, रांची एवं बोकारो में संचालित डेयरी एवं पशु चारा इकाइयों को झारखण्ड राज्य के पक्ष में हस्तांतरित किये जाने का मामला लंबित है। इसी प्रकार, भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) से होटल अशोका को झारखण्ड पर्यटन को हस्तांतरण की प्रक्रिया भी अब तक पूरी नहीं की जा सकी है। मैं, भारत सरकार से बिहार एवं झारखण्ड राज्य के बीच आस्तियों एवं दायित्वों (Assets & Liabilities) के बँटवारे के संबंध में नीति बनाने की मांग करता हूं, जिससे कि ऐसे लंबित मामलों का नियत समय में समाधान हो सके।

    अंत में, मैं सभी मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री एवं मंत्री गणों का इस बैठक में भाग लेने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही, अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के लिए मैं केन्द्रीय गृह मंत्री, अमित शाह जी के प्रति भी आभार प्रकट करता हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि परिषद् द्वारा सभी मामलों पर गहनतापूर्वक विचार कर न्यायसंगत निर्णय लेते हुए यथोचित दिशा-निर्देश दिये जायेंगे।
    धन्यवाद, जोहार…

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