

घटनास्थल पर कोई पगमार्क नहीं मिले, जिससे लकड़बग्घे या सियार द्वारा हमला करने की भी संभावना जताई जा रही है
रांची/खूंटी: महीनों तक बाघ की मौजूदगी से सहमे रांची प्रमंडल और खूंटी के ग्रामीणों को जब यह शिकारी गायब हुआ तो राहत मिली थी। परंतु लगभग एक माह बाद अचानक फिर से बाघ के होने के संकेत मिले हैं। इस बार खूंटी प्रमंडल से सटे रांची प्रमंडल के महिलांग स्थित हेसा गांव के पास लाली जंगल में तीन पालतू जानवरों की रहस्यमयी हत्या हुई है। शिकार का तरीका इतना असामान्य है कि ग्रामीण दहशत में हैं। याद हो कि करीब एक माह पहले खूंटी प्रमंडल के बुंडू रेंज (रांची-टाटा मुख्य मार्ग पर) में भी बाघ के पगमार्क मिले थे। तब वन विभाग ने कहा था कि बाघ लाली जंगल की ओर चला गया है, हालांकि उसे कोई नहीं देख पाया था। रेंजर गायत्री देवी ने स्थानीय लोगों से अकेले जंगल में न जाने की अपील की है।
शिकार का डरावना तरीका:
- तीनों जानवरों को गला घोंटकर मारा गया है।
- शिकारी ने उन्हें खाया नहीं, बल्कि सिर्फ उनका खून पीया है।
- इस विशिष्ट पद्धति को देखकर ग्रामीणों और वनकर्मियों को शक है कि यह काम किसी बाघ का ही है।
वन विभाग की जांच और दुविधा:
- घटना की सूचना मिलते ही वनरक्षकों (मनीष कुमार, दीपक लकड़ा, गोपाल शर्मा, सुरेंद्र नायक, शेखर सुमन) ने मौके का निरीक्षण किया।
- पगमार्क (पंजों के निशान) नहीं मिले: जांच में बाघ के पैरों के निशान न मिलना एक पहेली बना हुआ है।
- शिकार की शैली बाघ जैसी: हालांकि, जानवरों को मारने और खून पीने के तरीके को देखकर वनकर्मियों को लगता है कि यह बाघ का ही काम हो सकता है। शवों पर मिले दांतों के निशान भी इसी ओर इशारा करते हैं।
- कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं: वन विभाग ने न तो बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की है और न ही उसे पूरी तरह खारिज किया है।
रेंजर का बयान और कार्रवाई:
रांची डिवीजन की रेंजर गायत्री देवी ने बताया:
- पगमार्क का अभाव: घटनास्थल पर कोई पगमार्क नहीं मिले, जिससे लकड़बग्घे या सियार द्वारा हमला करने की भी संभावना जताई जा रही है।
- शवों को छोड़ा गया: शिकारी का पता लगाने के लिए शवों को वहीं छोड़ दिया गया है। उम्मीद है कि शिकारी लौटेगा तो उस पर नजर रखी जा सकेगी।
- इलेक्ट्रॉनिक निगरानी: जंगल में कैमरा ट्रैप (इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस) लगाए गए हैं ताकि क्षेत्र की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।