

रांची। रांची और खूंटी जिले के सीमावर्ती जंगली इलाकों में बाघ की संभावित मौजूदगी को लेकर ग्रामीणों के बीच दहशत का माहौल है। सोमवार सुबह बुंडू के रईसा मोड़ स्थित जंगल में एक मवेशी का शव मिलने के बाद ग्रामीणों ने बाघ के हमले की आशंका जताते हुए वन विभाग को सूचित किया। विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर मवेशी के शव का निरीक्षण किया और उसके घावों के आधार पर बाघ के हमले की संभावना व्यक्त की। इससे पहले, खूंटी वन प्रमंडल में बाघ के पंजों के निशान मिलने के बाद विभाग ने व्यापक खोजबीन की थी, लेकिन कोई ठोस पुष्टि नहीं हो सकी। हालांकि, हाल में रांची वन प्रमंडल से सटे खूंटी के बंधुआ पंचायत क्षेत्र के रुडुंगकोचा और कोलाद गांवों से बाघ की मौजूदगी की सूचनाएं मिली हैं। विभाग ने सतर्कता बढ़ा दी है और लोगों को जंगल में अकेले न जाने की चेतावनी जारी की है।
दलमा के लापता बाघ से जुड़ी आशंका
वन अधिकारियों के अनुसार, करीब तीन महीने पहले दलमा जंगल से एक बाघ गायब हुआ था, जिसका अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। संभावना जताई जा रही है कि यही बाघ भटकते हुए खूंटी-रांची के जंगलों में पहुंच गया हो। इन इलाकों में उसके शिकार के लिए पर्याप्त जंगली जीव न मिलने के कारण वह मवेशियों का शिकार कर रहा है।
नमूने जांच के लिए भेजे गए
रांची प्रमंडल के वनरक्षी प्रवीण कुमार ने बताया कि कोलार क्षेत्र में की गई जांच में बाघ का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन ग्रामीणों द्वारा एकत्र कराए गए बालों के नमूने जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि बालों से बाघ की पुष्टि नहीं हो सकती, लेकिन मवेशियों के शवों पर मिले घावों का तरीका बाघ के हमले जैसा है।
नदी-तालाबों पर नजर
विभाग ने टीमों को नदियों, तालाबों और डोभा (जलाशय) के आसपास तैनात किया है, क्योंकि बाघ पानी की तलाश में इन स्थानों पर आ सकता है। डीएफओ ने कहा कि यदि यह दलमा का बाघ है, तो संभवतः वह अपने मूल क्षेत्र में लौट जाएगा। फिलहाल, वन विभाग की टीमें लगातार जंगलों की निगरानी कर रही हैं और ग्रामीणों से सहयोग की अपील की गई है। प्रवीण कुमार, दीपक लकड़ा और भावेश कुमार जैसे अधिकारी गांवों में लोगों को जागरूक करने में जुटे हैं।