रांची। कुड़मी समाज के आंदोलन को लेकर कोलकाता हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोलकाता हाईकोर्ट ने कुड़मी आंदोलन को लेकर आंदोलन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन की घोषणा कुड़मी समुदाय के लोगों ने की थी। कुड़मी समुदाय चाहती है कि आदिवासी जाति में उनको शामिल किया जाए।इसको लेकर railway ने करीब 172 ट्रेनों को रद्द कर दिया था। जबकि, कई ट्रेनों को रूट डाइवर्ट कर दिया गया था। लेकिन अंतिम समय में कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले में हस्तक्षेप किया और कहा कि कुड़मी समुदाय चाहे तो इसको लेकर अपनी आवाज संस्थागत स्थानों पर उठा सकती है। लेकिन इस तरह का आंदोलन, जिससे आम जनमानस परेशान हो, वह करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। किसी भी समाज के लोगों को यह अधिकार नहीं है कि वे रेलवे और रोडवेज को ब्लॉक करके, ना केवल बंगाल बल्कि पड़ोसी राज्यों के लोगों को परेशान करें। उन्हें अनिश्चितकालीन आंदोलन बुलाकर निर्दोष लोगों को परेशान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती। बता दें 20 सितंबर को रेल रोको आंदोलन की घोषणा कुड़मी समुदाय के लोगों ने की थी। कुड़मी समुदाय के नेताओं ने आदिवासी/ अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की माँग को लेकर यह आंदोलन करने की बात कही थी।
सारी ट्रेनें अब सामान्य तरीके से चलेंगी
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद जितने भी ट्रेनों को रद्द या डायवर्ट या शार्ट टर्मिनेट करने की अधिसूचना रेलवे जारी की थी, उसे वापस ले लिया गया है। सारी ट्रेनें अब सामान्य तरीके से चलेंगी। आज रेलवे ने इस से संबंधित एक अधिसूचना जारी की है। दरअसल “पुरुलिया चेम्बर फोर ट्रेड एंड इंडस्ट्री” ने इस आंदोलन को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट के आदेश के बाद कुड़मी आंदोलन को स्थगित कर दिया गया है।
असर झारखंड समेत पश्चिम बंगाल में देखने को मिला
अनुसूचित जनजाति दर्जा की मांग को लेकर कुड़मी समाज का आंदोलन मंगलवार से जारी रहा। इस आंदोलन का असर झारखंड समेत पश्चिम बंगाल में देखने को मिला। कुड़मी समाज के आंदोलन को लेकर दक्षिण पूर्व रेलवे (South Eastern Railway) ने 140 मेल, एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है। वहीं, 69 ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट और 65 को डाइवर्ट किया गया है। इसके अलावा तीन ट्रेनों का समय बदला गया था।