

कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन: ST दर्जा और कुर्माली भाषा की मान्यता की मांग
झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कुड़मी समाज ने एक बार फिर अपनी पुरानी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन शुरू किया है। 20 सितंबर 2025 को समाज के हजारों लोग रेलवे ट्रैक पर उतर आए और रेल रोको आंदोलन किया। इस आंदोलन का सबसे बड़ा असर रेलवे सेवाओं और यात्रियों पर पड़ा, कई ट्रेनों को रद्द करना पड़ा, कुछ को मार्ग बदलकर चलाना पड़ा और यात्रियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा। आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण बताया जा रहा है, लेकिन आम जनता को भारी असुविधा झेलनी पड़ी।
कुड़मी समाज लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा पाने की मांग कर रहा है। समाज का कहना है कि उनकी संस्कृति, जीवनशैली और परंपराएं आदिवासी समाज से मिलती-जुलती हैं, वे सामाजिक और आर्थिक रूप से भी पिछड़े हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें अब तक एसटी का दर्जा नहीं मिला है। 1950 के दशक से ही यह मांग उठती रही है और 2011 में झारखंड सरकार ने केंद्र को इसकी सिफारिश भी भेजी थी, लेकिन आज तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अब समाज की मांग में एक और मुद्दा जुड़ गया है और वह है कुर्माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का।
आंदोलनकारियों का कहना है कि यह उनके लिए जीवन-मरण का सवाल है। उनका दावा है कि जब तक केंद्र सरकार से उन्हें लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। रांची, मूरी, टाटीसिल्वे, मेसरा, धनबाद, बोकारो और गिरिडीह समेत कई स्टेशनों पर ट्रैक जाम किया गया। रांची-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस, टाटा-गुवा, हटिया-बर्दवान, रांची-चंद्रपुरा जैसी कई ट्रेनों को प्रभावित होना पड़ा। कई जगहों पर यात्रियों को अपनी यात्रा स्थगित करनी पड़ी, तो कहीं लंबी दूरी की ट्रेनों के यात्री बीच रास्ते फंसे रह गए।
प्रशासन ने हालात से निपटने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए। आरपीएफ, रेलवे पुलिस और राज्य पुलिस के सैकड़ों जवान तैनात किए गए। रांची रेल मंडल ने कंट्रोल रूम सक्रिय किया, सीसीटीवी और ड्रोन से निगरानी रखी गई और कई स्टेशनों पर धारा 144 लागू की गई। रेलवे अधिकारियों ने दावा किया कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी भी स्थिति में लापरवाही नहीं बरती जाएगी।
रेलवे सेवाएं बाधित, यात्रियों को हुई परेशानी
यात्रियों की परेशानी
- स्टेशनों पर फंसे यात्रियों को काफी दिक्कत हुई।
- कई लोग समय पर गंतव्य तक नहीं पहुँच पाए।
- कुछ यात्रियों को अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी।
- लंबी दूरी की ट्रेनों के यात्रियों को सबसे ज्यादा मुश्किल का सामना करना पड़ा।
प्रभावित ट्रेन सेवाएँ
- रांची-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस समेत कई प्रमुख ट्रेनें रद्द की गईं।
- टाटा-गुवा, हटिया-बर्दवान, रांची-चंद्रपुरा जैसी कई पैसेंजर और मेमू ट्रेनें भी प्रभावित हुईं।
- कुछ ट्रेनों को वैकल्पिक मार्ग से चलाया गया।
- यात्रियों को अचानक यात्रा योजनाएं बदलनी पड़ीं।
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया, आंदोलन को मिला राजनीतिक समर्थन
राजनीतिक समर्थन
- आंदोलन को कई क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का समर्थन मिला।
- आजसू पार्टी और स्थानीय नेताओं ने धरने में हिस्सा लिया।
- पूर्व विधायक और सामाजिक संगठनों ने भी आंदोलन के पक्ष में बयान दिया।
क्यों महत्वपूर्ण है ST दर्जा?
- ST दर्जा मिलने पर शिक्षा और नौकरी में आरक्षण का लाभ मिलेगा।
- सरकारी योजनाओं और आर्थिक सहयोग में प्राथमिकता मिलेगी।
- सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संरक्षण मिलेगा।
- आदिवासी अधिकार जैसे भूमि और वनाधिकार पर भी प्रभाव पड़ेगा।
न्यायालयीन हस्तक्षेप
- अदालत ने रेल और सड़क जाम को अवैधानिक बताते हुए प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने का निर्देश दिया।
- अदालत ने यह भी कहा कि आंदोलनकारियों की मांगों को सरकार सुने, लेकिन आम जनता को असुविधा न हो।
निष्कर्ष
कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन एक बार फिर यह दिखाता है कि सामाजिक न्याय और पहचान की लड़ाई अभी अधूरी है। यह आंदोलन केवल रेलवे ट्रैक जाम करने की घटना नहीं है, बल्कि दशकों से चली आ रही मांग का परिणाम है। अगर सरकार समय रहते ठोस समाधान नहीं निकालती तो इस तरह के आंदोलन बार-बार देखने को मिल सकते हैं। वहीं, प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जनता को कम से कम परेशानी हो और समाज की जायज मांगों पर संवेदनशीलता से विचार हो।





