निकाय चुनाव नहीं कराने पर HC का सख्त एट्टीट्यूड | मुख्य सचिव पर अवमानना का खतरा


मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की गई है
Jharkhand: झारखंड हाईकोर्ट ने स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर लगातार हो रही देरी पर गंभीर असंतोष जताया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति आनंद सेन की अदालत ने अपने आदेश के बावजूद समय पर चुनाव प्रक्रिया शुरू न किए जाने पर नाराजगी जताते हुए राज्य की मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव को सशरीर अदालत में हाजिर होना पड़ा। अदालत ने सुनवाई के दौरान एक सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “अदालत के आदेश की लगातार अनदेखी की जा रही है। क्यों ना मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए?” कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 10 सितंबर की तारीख तय की है।
क्या है पूरा मामला
यह मामला पूर्व पार्षद रोशनी खलखो समेत अन्य लोगों द्वारा दायर एक अवमानना याचिका का है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि हाईकोर्ट द्वारा चार जनवरी, 2024 को तीन सप्ताह के भीतर चुनाव कराने के आदेश के बावजूद राज्य सरकार ‘ट्रिपल टेस्ट’ का बहाना बनाकर प्रक्रिया को टाल रही है। अदालत ने पहले भी स्पष्ट किया था कि ट्रिपल टेस्ट की आड़ में चुनाव नहीं रोके जा सकते। जनवरी 2025 में हुई एक पिछली सुनवाई में, अदालत ने सरकार को चार महीने के भीतर चुनाव कराने का निर्देश दिया था। उस समय मुख्य सचिव अलका तिवारी ने अदालत को बताया था कि ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया अंतिम चरण में है और प्रक्रिया पूरी होते ही चुनाव करा लिए जाएंगे।
ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट आ गई है, फिर भी देरी क्यों
21 अगस्त, 2025 को राज्य में शहरी निकायों के लिए ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी हो गई है। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के 48 नगर निकाय क्षेत्रों में ओबीसी मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है, उसके बाद सामान्य वर्ग, एससी और अंत में एसटी वर्ग के मतदाता हैं। रिपोर्ट आ जाने के बाद भी चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं होने पर अदालत ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। अगली सुनवाई से पहले, कोर्ट ने चुनाव कराने के लिए एक स्पष्ट समय-सारणी (टाइमलाइन) तय करने का निर्देश मुख्य सचिव को दिया है। 18 जुलाई, 2025 की सुनवाई में ही अदालत ने टिप्पणी की थी कि “झारखंड में संवैधानिक तंत्र विफल हो गया है।” इस खबर की जानकारी झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है।