दल बदल मामला : जेपी पटेल और लोबिन हेम्ब्रम की जा सकती है सदस्यता, आज 4 बजे आएगा फैसला
रांची। दल बदल मामले में आरोपों के घेरे में आए दो विधायक जेपी पटेल और लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता जा सकती है। संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत आज 4 बजे स्पीकर इस पर अपना फैसला सुनाएंगे। संभवतः इन दोनों विधायकों की सदस्यता जा सकती है। बता दें कि बुधवार को मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को लगातार दूसरे दिन न्यायाधिकरण में सुनवाई हुई थी, जिसमें दोनो पक्षों की ओर से बहस चली थी, जिसके बाद न्यायाधिकरण ने लिखित बहस की कॉपी 25 जुलाई को दोपहर 12 बजे तक पेश किए जाने का आदेश देते हुए सुनवाई पूरी होने की बात कही थी। बुधवार को पहले विधायक जेपी पटेल के मामले में सुनवाई हुई थी। कोर्ट के समक्ष बीजेपी की ओर से अधिवक्ता विनोद कुमार साहू ने प्रतिवादी की दलील को खारिज करते हुए कहा कि जिस तरह से कांग्रेस में शामिल होकर हजारीबाग क्षेत्र से जेपी पटेल ने लोकसभा चुनाव लड़ा वह सार्वजनिक है और चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में है। ऐसे में साक्ष्य मांगे जाना और उसके बाद जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग न्यायाधिकरण से किया जाना,यह कोर्ट का समय जानबूझकर बर्बाद करने जैसा है। यह मामला पूरी तरह से विधानसभा के 10वीं अनुसूची के तहत दल बदल के दायरे में आता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक लोबिन हेम्ब्रम पर लगे दल-बदल के आरोप मामले में स्पीकर न्यायाधिकरण ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को स्पीकर न्यायाधिकरण में हुई सुनवाई के दौरान लोबिन हेम्ब्रम की ओर से अधिवक्ता अनुज कुमार ने पक्ष रखते हुए कहा कि जिस तरह से आरोप लगाए गए हैं वह कहीं ना कहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा के संविधान के खिलाफ है। उन्होंने पार्टी संविधान की धारा 19(7) का हवाला देते हुए कहा था कि अध्यक्ष के द्वारा की गई निष्कासन पर पार्टी की बैठक में 4 महीने के अंदर मंजूरी प्रदान किया जाना आवश्यक है। यह मामला दल-बदल का नहीं बल्कि पार्टी का अंदरूनी मामला है। जेएमएम की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अंकितेश कुमार झा ने कहा कि लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी ने नोटिस भेजकर जवाब मांगा था लेकिन उनके द्वारा जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर लोकसभा चुनाव लड़ने का काम किया, ऐसे में लोबिन हेम्ब्रम की सदस्यता खत्म किया जाए। दोनों पक्षों की ओर से सुनवाई होने के बाद न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।