

जस्टिस B.R. Gavai: भारत के पहले बौद्ध CJI की प्रेरक कहानी ! दलित समुदाय से सुप्रीम कोर्ट तक, वक्फ अधिनियम और सुधारों पर नजर।
14 मई 2025 को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शपथ ग्रहण की। यह ऐतिहासिक क्षण न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है, बल्कि भारत के सामाजिक समावेश और न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ता है। जस्टिस गवई पहले बौद्ध और दूसरे दलित समुदाय से आने वाले CJI हैं। उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक, यानी लगभग 6 महीने का होगा। महाराष्ट्र के अमरावती से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस गवई की कहानी प्रेरणादायक है, जो कठिनाइयों से भरे बचपन से लेकर देश के सर्वोच्च न्यायालय तक की यात्रा को दर्शाती है। इस लेख में हम उनके जीवन, करियर, प्रमुख फैसलों, और वर्तमान में चर्चित वक्फ संशोधन अधिनियम जैसे मामलों पर उनके योगदान को विस्तार से देखेंगे।
प्रारंभिक जीवन : Amravati से Supreme Court की ओर
Justice B.R. Gavai का जन्म 24 नवंबर 1960 को Maharashtra के Amravati में एक साधारण Dalit परिवार में हुआ। उस समय सामाजिक और आर्थिक चुनौतियाँ आम थीं, लेकिन उनके पिता, Ramkrishna Gavai, जो एक वकील और बाद में Maharashtra Legislative Council के मेंबर बने, ने उन्हें शिक्षा और आत्मविश्वास दिया। Gavai ने Nagpur University से Law की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के दौरान उन्होंने Social Justice और Equality के महत्व को गहराई से समझा, जो उनकी सोच का आधार बना। छोटे शहर से निकलकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुँचना उनकी Determination और Hard Work की मिसाल है।
कानूनी करियर की शुरुआत
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, जस्टिस गवई ने 1980 में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र और गोवा में वकील के रूप में पंजीकरण कराया। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की, जहां उन्होंने नागपुर बेंच में कई तरह के मामलों—सिविल, क्रिमिनल, और संवैधानिक—पर काम किया। उनकी Legal Expertise और Commitment ने उन्हें जल्द ही एक मशहूर Advocate बना दिया। वे Constitutional Law, Social Justice, और Human Rights से जुड़े Cases में Active रहे। 1987 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के लिए सहायक लोक अभियोजक नियुक्त हुए। उनकी मेहनत और कानूनी समझ ने उन्हें जल्द ही पहचान दिलाई। 2003 में, उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का जज नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 16 साल तक सेवा दी। इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाए, जो बाद में उनके सुप्रीम कोर्ट करियर का आधार बने।
सुप्रीम कोर्ट में योगदान
नवंबर 2019 में, जस्टिस गवई को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक और संवेदनशील मामलों में भाग लिया। उनके कुछ प्रमुख फैसले निम्नलिखित हैं:
- अनुच्छेद 370: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। जस्टिस गवई इस बेंच का हिस्सा थे, जिसने इस फैसले को संवैधानिक रूप से वैध माना।
- इलेक्टोरल बॉन्ड्स: जस्टिस गवई उस बेंच में शामिल थे, जिसने इलेक्टोरल बॉन्ड्स योजना को असंवैधानिक घोषित किया। इस फैसले ने राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।
- नोटबंदी: 2016 की नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोर्ट ने नोटबंदी को वैध ठहराया, लेकिन इसकी प्रक्रिया पर कई सवाल उठाए।
- सामाजिक न्याय: जस्टिस गवई ने कई मामलों में दलित और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा की। उन्होंने आरक्षण, शिक्षा, और रोजगार से जुड़े मामलों में संवेदनशील और समावेशी दृष्टिकोण अपनाया।
CJI बनने की Journey: एक ऐतिहासिक शपथ
14 मई 2025 को, Justice Gavai ने Justice Sanjiv Khanna का स्थान लेते हुए CJI की शपथ ली। ये Moment न सिर्फ उनके लिए, बल्कि पूरे Dalit और Buddhist समुदाय के लिए गर्व का था। उनकी Appointment ने दिखाया कि Indian Judiciary में Diversity और Inclusion को कितना महत्व है।
उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक रहेगा। भले ही ये छोटा है, लेकिन Experts मानते हैं कि वे बड़े Reforms ला सकते हैं। खास तौर पर:
- Pending Cases: भारत में लाखों केस कोर्ट्स में लटके हैं। Gavai Fast-Track Courts को बढ़ावा दे सकते हैं।
- Digital Justice: E-Courts और Virtual Hearings को और Accessible बनाना।
- Rural Justice: ग्रामीण राज्यों में Mobile Courts और Legal Aid Camps के जरिए ग्रामीणों तक Justice पहुँचाना।
वक्फ संशोधन अधिनियम 2024 और जस्टिस गवई की भूमिका
वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर देश में गर्मागर्म बहस चल रही है। इस अधिनियम का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को बढ़ाना है, लेकिन कई संगठनों ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया है। जस्टिस गवई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। उनके संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण को देखते हुए, इस मामले में उनका फैसला देश के लिए महत्वपूर्ण होगा।
Justice Sanjiv Khanna से तुलना: क्या है अलग?
पिछले CJI, Justice Sanjiv Khanna, और Justice Gavai में कई Differences हैं, जो उनकी Leadership को Unique बनाते हैं। आइए देखें:
- Background:
- Khanna: दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवार से, जिनका Corporate Law और Urban Issues से कनेक्शन था।
- Gavai: Amravati के Dalit परिवार से, जिन्होंने Grassroot Challenges का सामना किया। उनकी कहानी Jharkhand जैसे राज्यों के लिए Relatable है।
- Judicial Approach:
- Khanna: उनके फैसले Constitutional और Commercial Law पर Focused थे, जैसे Arbitration और Corporate Disputes।
- Gavai: वे Social Justice, Reservation, और Minority Rights पर जोर देते हैं, जो Jharkhand के आदिवासी और दलित समुदायों के लिए महत्वपूर्ण है।
- Leadership Style:
- Khanna: उनकी लीडरशिप Administrative Reforms और Digitization पर थी।
- Gavai: उनकी लीडरशिप People-Centric होगी, खासकर Rural और Underprivileged Communities के लिए।
- Justice Gavai का कार्यकाल छोटा हो सकता है, लेकिन उनकी Legacy लंबी होगी। वे एक ऐसी Judiciary बना सकते हैं, जो Efficient, Inclusive, और Accessible हो। उनकी Vision में शामिल हो सकता है:
- Digital Courts: Jharkhand जैसे राज्यों में E-Courts का विस्तार।
- Pending Cases: कोर्ट्स में लटके केस कम करना।
- Social Inclusion: Dalit, Tribal, और Women के लिए Justice को सशक्त करना।
- उनकी Dalit और Buddhist Identity उन्हें Common Man की समस्याओं से जोड़ती है। Jharkhand से लेकर पूरे भारत में, लोग उनकी Leadership से Hopeful हैं।
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