सुप्रीम कोर्ट से झारखंड के पूर्व CM मधु कोड़ा को बड़ा झटका : सजा पर रोक से इनकार | अब वे विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ सकेंगे
कोयला घोटाले में 3 साल की सजा हुई है
रांची। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोयला घोटाला मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मधु कोड़ा की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उन्हें निचली अदालत ने 3 साल की सजा सुनाई है। वे इस सजा पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब वे विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। कोड़ा ने आगामी राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी सजा को निलंबित करने की मांग की थी। जस्टिस संजीव खन्ना और पीवी संजय कुमार की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें ऐसा करने से इनकार कर दिया गया था। हालांकि, कोड़ा को मामले में अपनी लंबित अपील पर जल्द सुनवाई की मांग करने की स्वतंत्रता दी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश हुए। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 18 अक्टूबर को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया था। इसके बाद अधिवक्ता युथिका पल्लवी के माध्यम से शीर्ष अदालत में तत्काल अपील दायर की गई। कोड़ा, जो 2006 से 2008 में अपने इस्तीफे तक झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थे, को कोयला घोटाला मामले में भ्रष्टाचार के लिए 2017 में दिल्ली की एक अदालत ने दोषी ठहराया था।
कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं के आरोप
इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने की थी, जिसमें 2008 में विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (वीआईएसयूएल) को झारखंड में राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक के आवंटन में अनियमितताओं के आरोप शामिल थे। कोड़ा को इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 3 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्होंने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए अपील दायर की और अपील के लंबित रहने के दौरान उन्हें जमानत दे दी गई। बाद में उन्होंने सजा को निलंबित करने के लिए याचिका दायर की ताकि वह झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकें। 3 साल की सजा का मतलब था कि वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य हो गए थे। ऐसी ही एक याचिका को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2020 में खारिज कर दिया था। इस साल मई में कोड़ा ने इसी तरह की राहत की मांग करते हुए एक और याचिका दायर की, जिसे भी खारिज कर दिया गया। उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।